कुबेरेश्वर धाम में बनेगा पत्रों का कक्ष

पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा: ‘शिव पर विश्वास ही कल्याण का मार्ग’

सीहोर, अग्निपथ। जिला मुख्यालय के समीपस्थ चल रही ऑनलाइन शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि शिव महापुराण कथा मनुष्य के जीवन को सुलभ बनाती है और जन्म-जन्मांतर के पुण्य उदय होने पर ही संतों के श्रीमुख से प्रभु की महिमा सुनने का सौभाग्य मिलता है। उन्होंने कहा कि भक्ति में लीन होकर ईश्वर के नाम का गुणगान व प्रार्थना करने से ही जीवन को सफल बनाया जा सकता है।

‘एक लोटा जल ही हर समस्या का हल’

पंडित मिश्रा ने कहा कि जिंदगी में विपरीत हालातों का सामना करना पड़ता है, लेकिन ऐसे समय में हौसला नहीं खोना चाहिए, क्योंकि चित्त की शांति और चेहरे की मुस्कान ही हमारी असली ताकत है। उन्होंने कहा, “जीवन की तमाम समस्याओं का हल सिर्फ ‘एक लोटा जल’ है। भगवान शिव पर जल अर्पित करने से हमारे संकटों का निवारण होना शुरू हो जाता है।” उनका कहना था कि शिव भक्ति के लिए केवल सादगी और अटूट विश्वास की आवश्यकता होती है।

पत्रों के लिए बनेगा ‘काँच का कमरा’

कथा के दौरान पंडित श्री मिश्रा ने बताया कि धाम पर हजारों की संख्या में ऐसे पत्र आते हैं, जिनमें श्रद्धालु एक लोटा जल अर्पित करने से अपने कष्टों के निवारण और जीवन में सफलता का उल्लेख करते हैं। उन्होंने घोषणा की कि आगामी दिनों में धाम परिसर में एक विशेष ‘काँच का कमरा’ निर्मित होने जा रहा है, जिसमें कथा के दौरान आने वाले इन पत्रों को संग्रहित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “ये पत्र इतिहास के साक्षी रहेंगे कि जिन्होंने भगवान शिव पर विश्वास कर अपने जीवन को सफल किया है।”

संतान प्राप्ति और नशे से मुक्ति की कहानियाँ

पंडित जी ने रविवार को भगवान शिव के अर्धनारीश्वर स्वरूप का प्रसंग सुनाया और बताया कि शिव व शक्ति दोनों एक ही रूप हैं। कथा के दौरान उन्होंने नागदा-उज्जैन से आई एक महिला के पत्र का वर्णन किया, जिसमें महिला ने लिखा था कि $9$ सालों से संतान नहीं थी, लेकिन शिव की कृपा और उनके विश्वास से उनके घर संतान का जन्म हुआ है। उन्होंने कहा कि कई पत्रों में भक्त बताते हैं कि भगवान शिव को श्रद्धापूर्वक एक लोटा जल चढ़ाने मात्र से या व्रत करने से उन्हें नशे से मुक्ति मिली है और सरकारी नौकरी जैसी मनोकामनाएँ पूरी हुई हैं।

उन्होंने मानव और ईश्वर का अंतर समझाते हुए कहा, “मनुष्य 99 कार्य कर दो, लेकिन एक कार्य नहीं करोगे तो वह आपके $99$ कार्य को नहीं देखेगा। लेकिन भगवान भक्त की वहीं कामना पूरी करता है जो भक्त के लिए सुखदायक हो। इंसान और ईश्वर में यही अंतर है।”

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