क्या हम पशुओं से भी बदत्तर हो गये हैं?

Arjun ke baan 27 04 22

बीते दिनों समाचार पत्रों में प्रकाशित लोमहर्षक घटनाओं से दिमाग विचलित है। समाचार पत्रों में प्रकाशित घटनाओं के शीर्षक मात्र ही मन को भारी व्यथित करते हैं ‘शराब के लिये पैसे न देने पर पुत्र द्वारा माँ की हत्या’, ‘भतीजी को डॉटने पर हुए विवाद में भाई की हत्या’ अभी बीते सप्ताह हमारे मध्यप्रदेश में ही हुई एक घटना से ऐसा लगने लगा कि क्या मनुष्यता पर पशुता भारी पडऩे लग गयी है? कहाँ तिरोहित हो गये हमारे भारतीय संस्कार? क्या लुप्त हो गयी हमारी संस्कृति? क्या यह वही देश है जहाँ श्रवण कुमार पैदा हुए थे?

घटना शिवपुरी की है जहाँ कोतवाली थानान्तर्गत पी.एस. होटल के पीछे मुदगल कॉलोनी में रहने वाले 65 वर्षीय सेवानिवृत्त शिक्षक रामेश्वर दयाल पिता बालकृष्ण शर्मा की उनके ही इकलौते पुत्र ने चाकू घोपकर हत्या कर दी।

65 वर्षीय मृतक सेवानिवृत्त बालकृष्ण जी का अपराध यह था कि वह वर्षों से नियमित प्रात: 4 बजे उठकर स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर भगवान का पजून-अर्चन कर भजन करते थे। पिता के इस कार्य से 28 वर्षीय उनके इकलौते पुत्र उपेन्द्र की नींद में खलल पड़ता था जिससे वह तंग आ चुका था और इसी कारण उसने अपने ही जन्मदाता के प्राणों का अंत कर दिया। दिल दहला देने वाली इस घटना से पूरी मानव जाति कलंकित हुयी है।

यदि घटना भारत की जगह किसी पश्चिमी सभ्यता वाले देश में हुयी होती तो शायद इतनी विचारणीय ना होती क्योंकि वहाँ सामाजिक संबंधों का ताना-बाना हमारे देश जैसा नहीं है, पर यह घटना उस देश में हुयी है जहाँ मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम ने जन्म लिया है जिन्होंने अपने पिता राजा दशरथ द्वारा माता कैकयी को दिये गये वचनों का पालन करने हेतु राजतिलक को छोडक़र 14 वर्षों का वनवास स्वीकार कर लिया।

यह है हमारे देश के संस्कार इसी देश में एक पुत्र अपने पिता की इसलिये हत्या कर दे कि पिता द्वारा किये जाने वाले भजनों से उसकी नींद में खलल पड़ रहा था। निश्चित तौर पर यह विचारणीय यक्ष प्रश्न पूरे भारतीय समाज के सामने है कि हम हमारी आने वाली पीढ़ी को कैसे संस्कार दे रहे हैं?

क्या हमारे खान-पान, शिक्षा-दीक्षा, परवरिश सब में प्रदूषण का जहर फैल चुका है। क्या हमारी आने वाली पीढ़ी संवेदनहीन होगी? बुजुर्गों को वृद्धाश्राम, अनाथश्रम में छोडऩे जैसे घृणित कार्यों से भी हम आगे निकल गये हैं? क्या हमारी मानवता ने दम तोड़ दिया है? क्या हमारे सामाजिक मानवीय रिश्तों का ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो गया है? क्या हमारी मानव प्रवृत्ति पर असुर प्रवृत्ति हावी हो गयी है? क्या हम पशुओं से भी बदत्तर हो चले हैं?

यदि इन सब प्रश्नों का जवाब हाँ में है तो पाप का घड़ा भर चुका है और कलियुग का अंत निकट है।

जय राम जी की…

– अर्जुन सिंह चंदेल

Next Post

ऑनलाइन ठगी: महाकाल मंदिर में अनाथ युवतियों के विवाह!

Tue Apr 26 , 2022
15 मई को शादी के पर्चे छपवाकर कथित ठग ने कुंवारों को दिया लुभावना आमंत्रण दिया, मंदिर प्रशासक ने महाकाल थाने में दिया आवेदन उज्जैन, अग्निपथ। मप्र-छत्तीसगढ़ के शहरों में अनाथ युवतियों से शादी का झांसा देकर ठगी का एक मामला सामने आया है। शहर में भी रामपाल दुबे नाम […]

Breaking News