तपोभूमि के इतिहास में पहली बार शिखर पर लहराई धर्म ध्वजा

भगवान महावीर का औषधि से हुआ महामस्तकाभिषेक

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महावीर तपोभूमि पर तीन दिवसीय कार्यक्रम के अंतर्गत रविवार को भगवान महावीर स्वामी का महामस्तकाभिषेक जल, दूध, घी, दही, गन्ने के रस, चूर्ण एवं औषधि से हुआ। इस धर्मअनुष्ठान में देशभर से समाजजन शामिल हुए।

मीडिया प्रभारी सचिन कासलीवाल ने बताया कि तपोभूमि प्रणेता आचार्य श्री प्रज्ञासागर जी महाराज के सानिध्य में हुए 1008 कलशों से श्री महावीर स्वामी का महामस्तकाभिषेक को देशभर से आए हजारों समाजजनों ने निहारा। सांस्कृतिक आयोजनों से महोत्सव की शुरूआत हुई। तपोभूमि के इतिहास में पहली बार शिखर पर धर्म ध्वजारोहण किया गया।

विशेष आकर्षण का केंद्र समाज का बैंड रहा जिसने सुबह से ही प्रत्येक समारोह में बढ़ चढक़र हिस्सा लिया। मुख्य अतिथि के तौर पर मध्य प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विक्की यादव मौजूद थे। कासलीवाल ने बताया कि महा मस्तकाभिषेक 26 जनवरी तक प्रतिदिन होगा तथा 26 जनवरी को अंतिम महा मस्तकाभिषेक के साथ संपूर्ण कार्यक्रम का समापन होगा तथा 26 जनवरी को राष्ट्र का झंडा फहराए जाएगा।

महामस्तकाभिषेक से पूर्व आचार्यश्री ने अपने प्रवचन में कहा कि ध्वजा का अपना महत्व होता है। चाहे वह धर्म की हो या देश की, हर व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने ध्वजा को अपने प्राणों की रक्षा से भी अधिक महत्व दें। चार कषायों में सिर्फ माया ही ऐसी कषाय है तो लगातार चलती है। क्रोध आता है, चला जाता है, मान की भी ऐसी ही स्थिति है, लोभ पदार्थ मिलने के बाद समाप्त हो जाता है लेकिन माया ऐसी नहीं है। वह लगातार चलती है। यही वजह है कि माया नाम की शल्य भी है और शल्य का अर्थ होता है शूल। जिस तरह शूल अर्थात कांटे के चुभने पर जब तक वह निकलता नहीं है तब तक टीस देता है ठीक इसी तरह माया कषाय है जो लगातार चुभन देती है।

महाराजश्री ने कहा कि पूजा और दान के बिना जो गृहस्थ भोजन ग्रहण करता है वह केवल पाप को ही संचित करता है। अत: अपने श्रावक जीवन को सार्थक करने की भावना रखने वाले श्रावकों को चाहिए कि वे प्रतिदिन दान और पूजा इन दो कर्तव्यों का पालन निष्ठा के साथ करें।

महावीर भगवान के मुख्य मंदिर पर ध्वजारोहण करने का सौभाग्य पवन बोहरा, आचार्य श्री के पाद प्रक्षालन अशोक जैन चायवाला, शास्त्र भेंट संतोष लुहाडिया, आरती सुनील जैन ट्रांसपोर्ट को प्राप्त हुआ। सुशील गोधा, संजय बालमुकुंद जैन, पुष्पराज जैन, ओम जैन, महा मस्तकाभिषेक के कलश में सहयोग प्रदान किया। आज 23 जनवरी को आचार्य पद आरोहण के कार्यक्रम में तपोभूमि पर आचार्य भद्रबाहु की मूर्ति स्थापित करने का सौभाग्य इंद्रपाल भल्ला एवं आचार्य कुंदकुंद स्वामी की प्रतिमा स्थापित करने के लिए कमल मोदी को प्राप्त हुआ।

आज होगी एलक दीक्षा

आज 23 जनवरी को आचार्यश्री का प्रथम आचार्य पद आरोहण एवं एलक दीक्षा होगी। 23 जनवरी को आचार्यश्री का प्रथम आचार्य पदारोहण दिवस है। इस दिन अंतिम श्रुत केवली आचार्य भद्रबाहु स्वामी, जिनका उज्जैन से गहरा नाता है उनकी और उज्जैन में जिन्होंने कल्याणमन्दिर स्तोत्र की रचना की ऐसे महान आचार्य श्री कुमुद्चन्द्र स्वामी की मूर्ति प्रतिष्ठापना का कार्यक्रम आयोजित किया है। इसी अवसर प्रात: 10 बजे से आयोजित कार्यक्रम में आचार्यश्री अपने शिष्य क्षुल्लक श्री प्रियतीर्थ जी को एलक दीक्षा देंगे।

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