त्रिकाल पूजा के अलावा सोला-धोती और साड़ी की अनिवार्यता समाप्त करने पर विचार

Mahakal sola pahana

गर्भगृह में प्रवेश के दौरान निभाई जा रही परंपरा, महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन पुजारी पुरोहितों से ले रहा सलाह

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में डे्रस कोड (धोती सोला, साड़ी) गर्भगृह में प्रवेश के दौरान पहनने की अनिवार्यता कर रखी है। लेकिन इसके पीछे कोई परंपरा नहीं होने के कारण अब इसका विरोध होने लगा है। मंदिर के ही कुछ पुजारी पुरोहित अब इस डे्रस कोड का विरोध करने लगे हैं। क्योंंकि यह परंपरा में नहीं आता है। महाकालेश्वर मंदिर प्रशासन अब इस पर विचार विमर्श कर इसकी अनिवार्यता समाप्त करने पर विचार कर रहा है।

महाकालेश्वर मंदिर में फिलहाल गर्भगृह से दर्शन करने वाले 1500 रुपए विशेष दर्शन टिकटधारियों को सोला और धोती पहनना पड़ रही है। महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा इसको ध्यान में रखते हुए फेसिलिटी सेंटर में दो कक्ष बनाकर इस व्यवस्था का संचालन किया जा रहा है। यहां पर एक कक्ष में पुरुषों को धोती और सोला तथा दूसरे कक्ष में महिलाओं को साड़ी पहनाकर प्रवेश के लिए छोड़ा जा रहा है। इसमें मंदिर प्रबंध समिति की ओर से धोती, सोला और साड़ी की व्यवस्था की गई है। लेकिन अब इसका विरोध होना शुरू हो गया है। क्योंकि यह परंपरा में नहीं आता है। मंदिर के पुजारी पुरोहित भी परंपरा के नाम पर इसका पालन करना ठीक नहीं समझ रहे हैं। इसको लेकर मंदिर प्रशासक के पास मंदिर के पुजारी पुरोहितों द्वारा विरोध भी दर्ज कराया जा चुका है।

त्रिकाल पूजा में सोला, धोती और साड़ी अनिवार्य

नाम न छापने की शर्त पर मंदिर के एक पुजारी ने बताया कि परंपरा अनुसार भगवान महाकाल की त्रिकाल पूजा में ही डे्रस कोड अनिवार्य है। लेकिन वर्षों से गर्भगृह बंद के दौरान दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को डे्रस कोड पहनने को बाध्य किया जा रहा है। जोकि ठीक नहीं है। वैसे भी सामान्य श्रद्धालुओं को प्रवेश देने के दौरान ड्रेस कोड का पालन कहां किया जा रहा है। सभी अपने घर से धारण की गई वेशभूषा में ही भगवान महाकाल के दर्शन कर रहे हैं। तो फिर वीआईपी अथवा 1500 रुपए विशेष दर्शन टिकटधारियों के साथ ही ऐसा क्यों किया जा रहा है। जबकि दूसरों के पहने गए धोती सोला और साड़ी से ज्यादा स्वच्छ और साफ सुथरे कपड़े पहनकर श्रद्धालु अपने घर से आते हैं।

आधा घंटा होता है खराब

वीआईपी अथवा सामान्य श्रद्धालु यदि 1500 रुपए का विशेष दर्शन टिकट लेकर गर्भगृह में प्रवेश करता है तो परंपरा का हवाला देते हुए उसको चैजिंग रूम ेंमें धोती सोला और साड़ी पहनना पड़ते हैं। यहां पर उनका करीब आधा घंटा खराब होता है। वैसे भी मंदिर समिति द्वारा सुबह 6 से 10 और दोपहर 11 से 1 बजे के बीच समय नियत किया गया है। ऐसे में जो श्रद्धालु दर्शन के लिए देर से पहुंचते हैं। उनको ड्रेस कोड में आने में समय लगने के कारण कभी कभी गर्भगृह बंद होने का समय हो जाता है। उनका विशेष दर्शन टिकट खरीदना व्यर्थ हो जाता है। ऐसे में वे पंडे पुजारियों और मंदिर प्रबंध समिति पर दोषारोपण करते हुए बुझे मन से दर्शन करते हैं।

इनका कहना

पुजारी पुरोहितों से इस व्यवस्था के बारे में संवाद किया जाएगा। -गणेश कुमार धाकड़, प्रशासक

जनहित में यदि इस तरह का कोई विचार आएगा तो विचार विमर्श कर इस पर निर्णय लिया जाएगा। -पुजारी प्रदीप गुरु, सदस्य महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति

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