दादाजी की बटिक कला को डिजिटल रंग देकर जीता राष्ट्रीय अवार्ड

बटिक कला

उज्जैन के शिल्पकार हयात गुट्टी ने लहराया परचम!

उज्जैन, अग्निपथ। उज्जैन के युवा शिल्पकार हयात गुट्टी ने अपनी पारंपरिक बटिक कला और आधुनिक तकनीक के बेजोड़ मेल से पूरे देश में अपनी पहचान बनाई है। उन्हें प्रतिष्ठित ‘डिजिटल आर्टिसंस ऑफ इंडिया अवार्ड 2024-25’ से सम्मानित किया गया है। यह गौरवपूर्ण सम्मान उन्हें ‘टेक्नोलॉजी इनोवेशन फॉर आर्ट एंड क्रॉफ्ट’ श्रेणी में भारतीय हस्तशिल्प क्षेत्र में उनके असाधारण योगदान के लिए दिया गया है।

बटिक कला को मिला ‘डिजिटल इंडिया’ का स्पर्श

हयात गुट्टी बटिक प्रिंट कला के युवा और अग्रणी नवाचारक हैं। उन्होंने यह नायाब और बारीक़ कला अपने स्वर्गवासी दादाजी रहीम गुट्टी से सीखी थी, जो भैरवगढ़ की सदियों पुरानी बटिक कला परंपरा के एक महत्वपूर्ण आधार रहे हैं। आज, हयात उसी अनमोल विरासत को डिजिटल तकनीक और आधुनिक डिजाइन का इस्तेमाल करके एक नई और वैश्विक पहचान दे रहे हैं।

कारीगरों और ग्राहकों के बीच लाए पारदर्शिता

हयात न केवल सदियों पुरानी वैक्स-रेजिस्ट डाइंग तकनीक (मोम-प्रतिरोध रंगाई) को सुरक्षित रख रहे हैं, बल्कि उन्होंने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग करके कारीगरों और ग्राहकों के बीच एक मजबूत और पारदर्शी सेतु भी बनाया है। इससे कारीगरों को बेहतर पहुँच और अवसर मिल रहे हैं।

जूरी ने बताया ‘प्रेरणादायक और दूरदर्शी प्रयास’

हैदराबाद के टी-हब में आयोजित राष्ट्रीय समारोह में जूरी ने हयात गुट्टी के काम को भारतीय कला के भविष्य के लिए प्रेरणादायक और दूरदर्शी बताया। अवार्ड मिलने पर उत्साहित हयात गुट्टी ने कहा, “यह कला मेरे दिवंगत दादाजी रहीम गुट्टी से मिली विरासत है। मेरा लक्ष्य है कि भैरवगढ़ की इस बटिक कला को नई पीढ़ी तक पहुँचाऊँ और इसे दुनिया में एक खास पहचान दिलाऊँ।”

हयात गुट्टी की यह उपलब्धि उज्जैन शहर और पूरे प्रदेश का गौरव बढ़ाती है। यह सिद्ध करती है कि जब परंपरा और टेक्नोलॉजी हाथ मिलाते हैं, तो भारतीय कला वैश्विक मंच पर पूरी सशक्तता के साथ चमक सकती है।

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