दीनदयाल जन आजीविका योजना में भ्रष्टाचार का आरोप: आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से सर्वे कराकर बच्चों के हक पर डाका

नगर निगम

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम द्वारा नवीन पायलट मिशन दीनदयाल जन आजीविका योजना (शहरी) (एनयूएलएम) के तहत सामाजिक-आर्थिक सर्वे कराने के निर्देश दिए गए थे। इसका मकसद गरीब तबके को ऋण के माध्यम से सशक्त बनाना था। लेकिन, निगम ने यह काम ठेके पर संस्थाओं को दे दिया। अब, घर-घर जाकर सर्वे करने के बजाय, ये संस्थाएं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को भेजकर नौनिहालों के हक पर डाका डाल रही हैं।

योजना का उद्देश्य और धांधली

इस योजना के तहत निगम क्षेत्र के शहरी गरीबों और कमजोर समूहों जैसे निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक, कचरा उठाने वाले श्रमिक, परिवहन श्रमिक, गिग वर्कर और देखभाल करने वाले श्रमिकों का सामाजिक-आर्थिक सर्वे किया जाना है। साथ ही, परिवार की जानकारी केवाईसी के माध्यम से योजना के पोर्टल पर दर्ज की जानी है। इसके बाद, पात्र परिवार के सदस्यों को केंद्र और राज्य शासन की 50 हजार से 4 लाख रुपये तक की ऋण योजनाओं का लाभ दिया जाना है, ताकि गरीब परिवार सशक्त हो सकें। लेकिन, जिन संस्थाओं को निगम ने इसका ठेका दिया है, उन्होंने इस योजना को पलीता लगाने का प्रयास पहले ही कर दिया है।

आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं का दुरुपयोग

नगर निगम द्वारा जिन संस्थाओं को घर-घर जाकर परिवार का आर्थिक सर्वे करना है, ये संस्थाएं अपना पैसा बचाने के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं को घर-घर भेजकर महिलाओं को बुला रही हैं। ऐसा ही मामला वार्ड-7 में शुक्रवार को हुआ, जब आंगनवाड़ी में संस्था द्वारा महिलाओं को इकट्ठा कर लिया गया और यहां पर शिक्षा लेने आए नौनिहालों को घर भेज दिया गया।

इसकी सूचना जब वार्ड पार्षद शिवेंद्र तिवारी को लगी तो उन्होंने वहां जाकर निरीक्षण किया। उन्हें उपरोक्त बातें मालूम हुईं। तब उन्होंने एनयूएलएम के प्रभारी पंकज सेठिया से इसकी शिकायत करते हुए उनको कार्य के निरीक्षण के निर्देश दिए।

पार्षद का बयान: “बच्चों के हक पर डाका!”

शिवेंद्र तिवारी, लोनिवि समिति एवं उद्यान विभाग प्रभारी ने कहा, “आंगनवाड़ी में बैठकर संस्था द्वारा सर्वे कार्य करवाया जा रहा था। आंगनवाड़ी के बच्चों को घर भेज दिया गया था। यह कार्य 5 दिन से लगातार चल रहा है।”

क्या है शहरी आजीविका मिशन?

शहरी क्षेत्र की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए दीनदयाल जन-आजीविका योजना (शहरी) उज्जैन जिले में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू की गई है। प्रदेश में डे-एनयूएलएम योजना के स्वरोजगार कार्यक्रम में शहरी क्षेत्र की 30 हजार महिलाओं को स्वयं का व्यवसाय करने के लिए ऋण के रूप में 225 करोड़ रुपये विभिन्न बैंकों से उपलब्ध कराए गए हैं। प्रदेश में पीएम स्वनिधि योजना के दूसरे चरण में 1 लाख 50 हजार महिलाओं को स्वयं का व्यवसाय करने के लिए 260 करोड़ का ऋण विभिन्न राष्ट्रीयकृत बैंकों के माध्यम से वितरित किया गया है।

यह मामला दर्शाता है कि कैसे महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीके से न होने पर उनके मूल उद्देश्य को ही खत्म किया जा सकता है। क्या नगर निगम इन अनियमितताओं पर लगाम लगाकर योजना को उसके सही पात्रों तक पहुंचा पाएगा, यह देखना बाकी है।

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