देखो ओ दीवानों तुम यह काम ना करो, भोले बाबा का नाम बदनाम ना करो

बीते दिनों महाकाल के दर्शनों हेतु उज्जैयिनी आये श्रद्धालुओं के साथ हुयी लूट-खसोट ने समाचार पत्रों के प्रथम पेज पर स्थान पाया। शायद पहली बार ऐसा हुआ है कि कुछ अर्थपिशाचों की धन लालसा के कारण सम्पूर्ण उज्जैनवासी शर्मसार हुए।

आने वाले धर्मालुओं से आटो रिक्शा वालों ने रेलवे स्टेशन से गोपाल मंदिर तक का किराया 150/- रुपये तक वसूल लिया, नाश्ते में पोहे की प्लेट के 40 रुपये तक वसूल किये गये, होटल वालों ने दड़बे नुमा कमरों का किराया 1000 से 1500 रुपयों तक वसूल लिया।

ऐसा लगा इस धार्मिक नगरी के लोगों को क्या हो गया है क्या हम धन की लालसा में इतने गिर जायेंगे कि यहाँ से वापस जाने वाला महाकाल का भक्त हम सबको बद्दुआ देता हुआ जाए, हमारे कुकर्मों का बखान वह पूरे देश में जाकर करें। यदि ऐसा हुआ तो यह हम सब के लिये दुर्भाग्यपूर्ण होगा।

यह पुरातन और ऐतिहासिक नगरी अपने आतिथ्य सत्कार के लिये सारी दुनिया में जानी जाती है। 12 वर्षों में लगने वाले सिंहस्थ में आने वाले धर्मालुओं की हम इतनी खातिरदारी करते हैं कि भंडारों (भोजनशालाओं) के कारण शहर के रेस्टोरेंटों का धंधा ठप्प हो जाता है।

यह वही शहर है जहाँ सिंहस्थ में आने वाले हिंदु धर्माविलंबियों के लिये मस्जिदों के दरवाजे तक खुल जाते हैं। यह वही शहर है जहाँ के निवासी आने वाले मेहमानों की देवता समझकर आवभगत करते हैं और अपने आपको सौभाग्यशाली समझते हैं।

हम सभी को शर्मसार करने वाली दूसरी घटना में बेगमबाग क्षेत्र में महाकाल के दर्शनों हेतु आये युवकों को अल्पसंख्यक समुदाय के नवयुवकों ने चाकुओं से हमला कर घायल कर दिया यह घटना भी हम सभी उज्जैन के नागरिकों के लिये शर्मनाक है।

उज्जैन का यह इतिहास रहा है कि रात्रि 2 बजे से महिलाएँ अकेले ही भोलेनाथ को जल चढ़ाने के लिये तोपखाना, बेगमबाग या अन्य मुस्लिम बहुल क्षेत्रों से गुजरती है साथ ही भस्मारती के लिये आने वाले धर्मालु भी इन्हीं मार्गों से गुजरते हैं परंतु मजाल है कि किसी महिला के साथ दुव्र्यवहार हुआ हो।

जिस शहर में दिनदहाड़े महिलाओं के गले में से चैन छीनने की सैकड़ों घटनाएँ हो चुकी हो उसी शहर की यह गंगा-जमुनी तहजीब शहर के नागरिकों के लिये गर्व करने वाली बात है।

उज्जैन के एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते महाकाल के दर्शनों हेतु आये श्रद्धालुओं के साथ हुयी लूट-खसोट के लिये मैं हाथ जोडक़र माफी माँगता हूँ और यहाँ के होटल व्यवसायियों, आटो चालकों, भोजनालय वालों से यह अनुरोध करता हूँ कि हम सभी, अपने आपको सौभाग्यशाली समझे और पूर्वजन्मों का पुण्य प्रताप समझें कि हमने राजाधिराज भूतभावन मृत्युलोक के राजा की नगरी में जन्म लिया है।

निश्चित तौर पर आने वाला ‘कल’ उज्जैन का है, हम सभी उज्जैन आने वाले यात्रियों को अपना व्यक्तिगत अतिथि समझे और अपने व्यवसाय को सेवा भाव के साथ करें, अपने मुनाफे को कम करके टर्नओवर ज्यादा करें, श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या उनके मुनाफे को वहीं ला देगी यह मेरा अटल विश्वास है और जब महाकाल हमारे साथ है तो चिंता किस बात की।

जय महाकाल

– अर्जुन सिंह चंदेल

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