देवास, अग्निपथ। देवास जिले के संवरसी गांव के रहने वाले नायक संजय मीणा अरुणाचल प्रदेश में देश की सेवा करते हुए शहीद हो गए। शनिवार को उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव संवरसी पहुंचा, जहां राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। शहीद को उनके 10 वर्षीय बेटे ने मुखाग्नि दी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शहीद जवान को श्रद्धांजलि अर्पित की।
संजय मीणा अरुणाचल प्रदेश में ड्यूटी के दौरान अचानक आए भूस्खलन की चपेट में आने से शहीद हुए। सेना के जवानों ने तीन दिन तक लगातार प्रयास कर उन्हें मलबे से बाहर निकाला और अंबाला यूनिट लाए, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें बचाया नहीं जा सका।
शहीद को अंतिम विदाई
शुक्रवार को शहीद का पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया और शनिवार सुबह इंदौर एयरपोर्ट से सेना के वाहन द्वारा उनके पैतृक गांव संवरसी पहुंचाया गया। जैसे ही पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, पूरा माहौल गमगीन हो गया। जिन गलियों में संजय मीणा बचपन में खेलते-कूदते बड़े हुए थे, उन्हीं गलियों से जब उनकी अंतिम यात्रा निकली तो हर तरफ लोग फूलों की वर्षा कर अपने लाल को श्रद्धांजलि दे रहे थे। ‘संजय मीणा अमर रहें’ और ‘भारत माता की जय’ के नारों से पूरा माहौल गूंज उठा।
दोपहर करीब 12 बजे सेना के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर उन्हें अंतिम सलामी दी। इसके बाद उनके 10 वर्षीय पुत्र युवराज मीणा ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। यह पल पूरे गांव के लिए बेहद भावुक और गौरव से भरा था। इस दौरान हर आंख नम थी, लेकिन हर चेहरे पर देश के लिए जान न्योछावर करने वाले जवान पर गर्व साफ झलक रहा था।
गांव में बनेगा शहीद स्मारक
अंतिम संस्कार के दौरान सोनकच्छ विधायक डॉ. राजेश सोनकर ने गांव में शहीद नायक संजय मीणा की स्मृति में स्मारक और प्रवेश द्वार बनाने की घोषणा की। साथ ही गांव के हायर सेकेंडरी स्कूल का नाम भी शहीद के नाम पर रखा जाएगा।
शहीद के फौजी साथियों ने उन्हें अनुशासित, ईमानदार और कर्तव्यपरायण बताया। उनके दोस्त अमर चौधरी ने बताया कि संजय हमेशा अपने कर्तव्य को सर्वोपरि मानते थे और साथियों को प्रेरित करते थे कि देश सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं है। शहीद के बड़े भाई और रिटायर्ड फौजी राम प्रसाद मीणा ने कहा कि संजय अब हमारे बीच नहीं हैं, पर उनकी बहादुरी हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी।
