धार : इस साल भी बढ़ा गेहूं का रकबा, मानसून ने किसानों को दी ‘खुशी की सौगात’

धार, अग्निपथ। जिले में इस साल औसत से अधिक हुई बारिश रबी सीजन के लिए वरदान साबित हुई है। भले ही सोयाबीन की कटाई और रबी की बुआई कुछ हद तक प्रभावित हुई, लेकिन पर्याप्त बरसात होने से इस बार रबी फसलों की बुआई ज्यादा होगी, और गेहूं का रकबा लगातार तीसरे साल बढ़ गया है।

िकसानों का रुझान इस बार चने की अपेक्षा गेहूं व लहसुन की तरफ अधिक देखने को मिल रहा है। किसान अब कम पानी में अधिक उत्पादन देने वाली किस्म का चयन कर अपने खेतों को बुआई के लिए तैयार करने में जुट गए हैं। कुछ किसानों ने नमी का फायदा उठाकर बोवनी कर दी है और अब वे पहली सिंचाई की तैयारी में हैं।

1.72 लाख हेक्टेयर में हुई बोवाई, 50 प्रतिशत कार्य पूर्ण

बारिश के कारण बुआई में देरी हुई थी, लेकिन मौसम खुलते ही किसानों ने तेजी से काम शुरू कर दिया है। अभी तक 1 लाख 72 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में गेहूं की बोवनी हो चुकी है। जिले में कुल 4 लाख 66 हजार हेक्टेयर रकबे में बुआई हो रही है, जिसमें सबसे ज्यादा रकबा चना और गेहूं का है।

कृषि विभाग के अनुसार, जिले में लगभग 50 प्रतिशत बुवाई का कार्य पूर्ण हो चुका है। किसान अच्छे से हंकाई-जुताई करके खाद डालकर गेहूं के साथ लहसुन की बुआई कर रहे हैं। पिछले सप्ताह भर से मौसम में उतार-चढ़ाव और धूप के कारण खेतों की जुताई का कार्य तेजी से चल रहा है और बुआई के कार्य ने अब रफ्तार पकड़ ली है। वैसे भी जिले में नवंबर के मध्य तक गेहूं की बुआई होती है।

नई किस्मों पर जोर, रकबा 4200 हेक्टेयर बढ़ा

इस बार किसान गेहूं की ऐसी नई किस्मों को प्राथमिकता दे रहे हैं जो कम पानी में ज्यादा उत्पादन दें। इनमें 1650, 1544 पूर्णा, 1634 अहिल्या और लोकवन जैसी वैरायटी शामिल हैं, जो 13 से 16 क्विंटल प्रति बीघा तक का उत्पादन देती हैं। जिले में इस बार रबी सीजन में बोई जाने वाली फसलों का कुल रकबा पिछली बार से बढ़ाकर 4 लाख 66 हजार हेक्टेयर किया गया है, जो पिछले साल 4 लाख 62 हजार हेक्टेयर था। इस तरह, अकेले गेहूं का रकबा 4200 हेक्टेयर बढ़ाया गया है।

बुआई के लिए खाद की बढ़ी मांग

इस समय गेहूं और अन्य फसलों की बोवाई का कार्य चल रहा है, जिसके कारण एनपीके और डीएपी खाद की सर्वाधिक मांग है। सरकार के भरपूर प्रयास के बावजूद खाद की किल्लत बनी हुई है। जिलेभर में सभी सोसायटियों और नकदी बिक्री केंद्रों पर किसान अभी से लाइन में लग रहे हैं। गेहूं की बुवाई के समय खाद की अत्यधिक आवश्यकता होती है और बोवाई के 12 से 15 दिन बाद पहले पानी के दौरान यूरिया की जरूरत पड़ती है। हालांकि, अभी जिले में खाद की स्थिति ठीक नहीं है, और इस बार भी विपणन द्वारा खाद का पर्याप्त स्टॉक नहीं किया जा रहा है।

बोवाई के बाद यूरिया चाहिए

अभी किसानों को सबसे ज्यादा डीएपी ओर एनपीके की आवश्यकता पड़ रही है मगर किसानों को सुसाइटीयो में पर्याप्त खाद नही मिल रहा है। लम्बे समय के बाद एनपीके आया था वही आवश्यकता अनुसार खाद नही मिला कैसे खेती को लाभ का धंधा बनाए जब फसलों में जिसकी आवश्यकता वही नही मिले तो। वहीं अब यूरिया की आवश्यकता हे तो वह नहीं मिल रहा हे।
-किशोर यादव किसान

गेहूं व चने का रकबा बढ़ेगा

अभी तक किसानों द्वारा एक लाख 70 हजार हेक्टेयर से ज्यादा में बोवाई कर दी है साथ 12 हजार हेक्टेयर में चने की बोनी की गई। इस बार बारिश अच्छी होने के कारण किसानों ने गेहूं का रकबा व चने का रकबा बढ़ाया है। वहीं गेहूं में पानी की आवश्यकता अधिक होती है और इस बार बारिश अच्छी हुई इसके लिए किसान गेहूं की ओर ज्यादा रुझान कर रहे हैं। वहीं इस वर्ष खाद की उपलब्धता को लेकर जिले में स्थिति ठीक है अभी लगातार रैक लग रही है।
-ज्ञानसिंह मोहनिया, उपसंचालक कृषि धार

रबी फसलों का रकबा

  • गेहूं 3 लाख 42 हजार हेक्टयर
  • चना 65 हजार हेक्टयर
  • मटर 2 हजार 500 हेक्टयर
  • मक्का जो व अन्य 30 हजार हेक्टयर
  • गन्ना 1 हजार 500 हेक्टेयर
  • उद्यानिकी 32 हजार 500 हेक्टेयर

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