धार का आधुनिक बस स्टैंड: सपना या हकीकत? दो साल बाद भी अधूरा, यात्री परेशान!

धार, अग्निपथ. शहरवासियों के लिए आधुनिक बस स्टैंड का सपना केवल सपना बनकर रह गया है। यहां निर्माण कार्य में तेजी के दावे तो खूब किए जाते हैं, लेकिन उन पर अमल नहीं होता है। पुराने यात्री प्रतीक्षालय का आधा हिस्सा तोड़ दिया गया और उसके बाद से काम पूरी तरह बंद पड़ा है। इस वजह से बारिश में यात्रियों को भारी फजीहत उठानी पड़ रही है।

पुरानी कहावत है कि एक के चक्कर में आधी से भी हाथ धोना पड़ता है, कुछ ऐसा ही हाल आधुनिक बस स्टैंड का है। यह दो साल में भी पूरा नहीं बन सका और पुराने यात्री प्रतीक्षालय का आधा हिस्सा भी ढहा दिया गया। बीते करीब चार महीनों से तो निर्माण कार्य पूरी तरह ठप है। चर्चा है कि ठेकेदार काम छोड़कर ही गायब हो गया है और अधिकारियों को यह समझ नहीं आ रहा कि आगे काम कैसे कराएं।

उल्लेखनीय है कि 10 जुलाई 2023 को आधुनिक बस स्टैंड के लिए भूमिपूजन हुआ था और इसके निर्माण के लिए 12 महीने की समय सीमा तय की गई थी। दो साल बीतने को आए हैं, लेकिन अभी तक 40 प्रतिशत कार्य भी पूरा नहीं हो सका है। निर्माण में इस लेटलतीफी के चलते लागत भी बढ़ती जा रही है।

अधिकारियों के तबादले के बाद काम ठप!

पिछले महीने नगर पालिका (नपा) द्वारा बस स्टैंड के वर्तमान यात्री प्रतीक्षालय को ढहाने की कार्रवाई शुरू की गई थी। तब यह दावा किया गया था कि अब काम तेजी से होगा। दिखावे के लिए तीन टीमों का गठन भी किया गया था, जो अलग-अलग दिशाओं में काम करने वाली थीं। लेकिन, उपयंत्री संजय मराठा के तबादले के बाद तीनों टीमें गायब हो गईं और जमीनी स्तर पर काम पूरी तरह बंद हो गया।

यात्री प्रतीक्षालय तोड़ने से यात्रियों को बारिश में खासी परेशानी हो रही है। हालांकि, नपा ने एक अस्थायी यात्री प्रतीक्षालय बनाया है, परंतु उस स्थान से बसें न दिखने के कारण यह यात्रियों के किसी काम का नहीं है।

9.71 करोड़ की लागत, लेकिन काम की धीमी रफ्तार!

दो साल पहले 9.71 करोड़ की लागत से बस स्टैंड का निर्माण शुरू किया गया था। 0.9 हेक्टेयर पर बनने वाले इस बस स्टैंड में से 0.5 हेक्टेयर पुलिस लाइन की जमीन पर निर्माण की अनुमति मिल गई थी। लेकिन, 0.3 हेक्टेयर पर बने एमपीआरडीसी (MPRDC) के पुराने ढांचे, यानी वर्तमान यात्री प्रतीक्षालय को ढहाने की अनुमति नहीं मिली थी।

दो साल से एमपीआरडीसी, भोपाल से लगातार पत्राचार किया जा रहा था। इसके बाद आखिरकार एमपीआरडीसी के बने ढांचे को ढहाने की अनुमति मिली और नपा ने यात्री प्रतीक्षालय तो ढहा दिया, लेकिन काम फिर से बंद कर दिया। जिस गति से यहां काम चल रहा है, ऐसा लगता है कि आने वाले 5 साल में भी यह निर्माण कार्य पूरा नहीं हो पाएगा।

काम की तय रणनीति, लेकिन हकीकत कुछ और!

20 मई को नपा ने 8 महीने में काम पूरा करने का दावा किया था। नपा ने तीन टीमों का गठन किया था। पहली टीम को वर्तमान यात्री प्रतीक्षालय को ढहाने के बाद आगे का निर्माण करना था, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। यहां यात्री प्रतीक्षालय तो ढहा दिया गया, लेकिन आगे का निर्माण कार्य शुरू ही नहीं किया गया।

इसी तरह दूसरी टीम को पुलिस लाइन की जमीन पर 20 हजार स्क्वायर फीट में भूमि समतल कर सीमेंट कंक्रीट का काम करना था। लेकिन, डेढ़ महीना गुजर जाने के बाद भी यहां काम शुरू नहीं हुआ है। तीसरी टीम को 33 दुकानों की शटर सहित फ्लोरिंग का काम करना था। इसमें भी डेढ़ महीने में नपा 33 दुकानों की शटर तक नहीं लगा पाई है।

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