धार,अग्निपथ। धार जिले की कृषि उपज मंडी में इन दिनों सोयाबीन की आवक चरम पर है और रोजाना 10 हजार क्विंटल से अधिक उपज मंडी पहुंच रही है। एक ओर जहां मंडी सोयाबीन से लदी ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से पटी पड़ी है, वहीं दूसरी ओर भावांतर भुगतान योजना में हो रही देरी ने हजारों किसानों की कमर तोड़ दी है। जिले के लगभग 20 हजार किसान ऐसे हैं जिन्होंने 17 नवंबर के बाद अपनी उपज बेची थी, लेकिन एक माह बीतने को है और उनके खातों में अब तक भुगतान की राशि नहीं पहुंची है।
भावांतर योजना के तहत सरकार ने अब तक दो किस्तों का भुगतान किया है। पहली किस्त 6 नवंबर तक और दूसरी किस्त 17 नवंबर तक की बिक्री पर दी गई थी, जिसकी कुल राशि 17 करोड़ 99 लाख रुपये से अधिक है और इससे लगभग 9300 किसानों को लाभ मिला है। समस्या 19 नवंबर के बाद उपज बेचने वाले उन 20 हजार किसानों के साथ खड़ी हुई है, जिनकी तीसरी और चौथी किस्त का अब तक कोई अता-पता नहीं है। भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री अमोल पाटीदार का कहना है कि सरकार ने 15 दिनों में भुगतान का वादा किया था, लेकिन देरी के कारण खेती के जरूरी काम ठप हो गए हैं।
भुगतान में देरी का सीधा असर रबी की फसल पर पड़ रहा है। किसान घनश्याम, बद्रीलाल और किशोर यादव ने बताया कि उन्होंने नवंबर के मध्य में अपनी फसल बेची थी, लेकिन पैसा नहीं मिलने से खाद और बीज की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। मजदूरों की मजदूरी, बिजली बिल का भुगतान और लहसुन-प्याज की फसल में खाद डालने जैसे महत्वपूर्ण कार्य पैसों के अभाव में रुके हुए हैं। किसानों की मांग है कि जब सरकार हर दिन मॉडल रेट तय करती है, तो भुगतान की प्रक्रिया भी नियमित होनी चाहिए ताकि छोटे और मध्यम किसानों को साहूकारों से कर्ज न लेना पड़े।
