निगम आयुक्त ने ही की थी सेवा समाप्त, अनुभव की भी रही कमी
उज्जैन, अग्निपथ। निगम आयुक्त ने शहर की सफाई व्यवस्था को सुचारू रखने के लिये नवम्बर माह में 14 मेट को प्रभारी स्वच्छता निरीक्षक (एसआई) के पद पर पदोन्नति प्रदान की दी थी, लेकिन इनमें तीन प्रभारी स्वच्छता निरीक्षक ऐसे कर्मचारियों को बना दिया गया है, जोकि इस पद के योग्य नहीं हैं। यहां तक कि एक बर्खास्त मेट को भी नौकरी पर वापस लेकर प्रभारी स्वच्छता निरीक्षक बना दिया।
विगत 25 नवम्बर को निगम आयुक्त अभिलाष मिश्र ने आदेश निकालते हुए प्रभारी स्वच्छता निरीक्षक के पद के आदेश निकाल दिये थे। जिनमें अजय दावरे, अब्दुल हमीद, सोनू पटोनिया, राजू संगत, विजय बाली, अनिल घावरी, मनोज गोसर, यश धोलपुरे, इदरीस खान, विनोद शिंदे, मुकेश भाटी, मनीष राजेंद्र प्रसाद, राजेश लोट, महेश झांझोट को पद पर पदोन्नति दी थी।
लेकिन इनमें से राजेश लोट को भी पदोन्नति देते हुए प्रभारी स्वच्छता निरीक्षक बना दिया था, जबकि इनको निगम आयुक्त स्वयं ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। पूर्व में भी इनको कई बार चेतावनी देने के बाद बर्खास्त किया गया था। इसका बकायदा निगम के जनसंपर्क के ग्रुप पर समाचार भी जारी किया गया था। ऐसे में इस बात की चर्चा पूरे निगम गलियारों में चल रही है। इसी तरह यश धोलपुरे को भी सीधे प्रभारी स्वच्छता निरीक्षक बना दिया गया। जबकि उनको कोई भी योग्यता और अनुभव नहीं है। वहीं मनीष राजेन्द्र प्रसाद को भी इसी पद पर पदोन्नति दे दी गई।
वेतन नहीं देने की जांच रिपोर्ट भी नहीं आई
निगम आयुक्त ने कचरा सेग्रीगेशन कर्मचारियों को ग्रांड होटल में धरना प्रदर्शन के बीच जाकर उनको समय पर वेतन देने के निर्देश भी प्रदान किये थे, साथ ही इसकी जांच के निर्देश भी दिये थे। लेकिन दो माह बीतने के बाद भी इसकी जांच रिपोर्ट नहीं आई है।
तोपखाना में मांस लटकता दिख रहा
मुख्यमंत्री ने तोपखाना में मांस की दुकानों पर इनको नहीं लटकाने और इस आदेश का उल्लंघन करने पर निगम को कार्रवाई के आदेश दिये थे। लेकिन कुछ दिन तो इसका पालन होता रहा, लेकिन इसके बाद अब फिर से वही स्थिति हो गई है। जानकारी लगी है कि यहां का प्रभारी एक प्रभारी स्वच्छता निरीक्षक के भाई को बना दिया है। जोकि इनसे वसूली में व्यस्त है। पूरा माल उपर तक पहुंच रहा है।
