नवजात की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के बीच नूराकुश्ती

बच्चे की मौत के बाद भी एफआईआर नहीं, डॉक्टर का ऑडियो हुआ वायरल

उज्जैन, अग्निपथ। शहर में गलत इलाज से हुई बच्ची की मौत के मामले में अब तक जिम्मेदारों पर एफआईआर नहीं हो सकी है। फर्जी डॉ. तैयबा घटना के एक हफ्ते से अधिक समय बीत जाने के बाद भी खुलेआम घूम रही है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग की टीम ने माना है कि वो फर्जी डिग्रीधारक है, उसे डिलीवरी और इलाज करने की अनुमति नहीं है।

अब पुलिस और स्वास्थ्य विभागों के आपसी तालमेल के नहीं होने के कारण उस पर एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पाई है। आरोपी फर्जी महिला डॉक्टर खुलेआम मृत बच्चे के परिजन को फोन पर आपस में बैठकर मामला निपटा लेने की धमकी भी दे रही है। महिला डॉक्टर का ऑडियो भी सामने आया है, जिसमें वह बोल रही है कि मेरा कुछ बिगडऩे वाला नहीं है। बात आगे मत बढ़ाओ, बैठकर बात कर लो।

मामले में 3 अक्टूबर को अस्पताल में हुए हंगामे और फर्जी महिला डॉक्टर के अस्पताल को सील करने के बाद फर्जी डॉ. तैयबा ने मृत बच्ची के मामा महेश मालवीय को फोन लगाकर सेटलमेंट करने की बात कही थी। जिसके बाद परिजनों ने डॉक्टर के खिलाफ पंवासा थाने में आवेदन दिया, लेकिन अब तक उस पर एफआईआर तक दर्ज नहीं हो पाई है। स्वास्थ्य विभाग ने उसका अस्पताल सील करके पल्ला झाड़ लिया।

सीएमएचओ और पुलिस एक-दूसरे पर टाल रहे

डॉ. तैयबा शेख की डिग्री फर्जी निकली है। इससे पहले भी एक बच्चे की मौत के मामले में उसका क्लिनिक सील हो चुका है। उस दौरान उस पर एफआईआर दर्ज की गई थी, लेकिन इस बार एक हफ्ता बीत जाने के बाद भी क्लिनिक सील की ही कार्रवाई की गई है। स्वास्थ्य अमला और पुलिस विभाग दोनों एक दूसरे पर एफआईआर नहीं करने का आरोप लगा रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग का अभिमत जरूरी

पंवासा थाना प्रभारी जीएस मंडलोई ने बताया कि बच्चे के परिजन आवेदन दे गए हैं। मामले में जांच स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को करनी है। उनके यहां से जो प्रतिवेदन बनकर आएगा, उसके बाद एफआईआर दर्ज की जाएगी। चूंकि पुलिस को नहीं पता कि उसकी डिग्री फर्जी है या नहीं। रही बात बच्चे की तो उसकी जन्म से पहले ही मौत हो चुकी थी। बच्ची की मौत लापरवाही से हुई ये बात स्वास्थ्य विभाग की ओर से लिखकर आएगी। डिग्री को लेकर भी विभाग बताएगा, जिसके बाद तत्काल आरोपी डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली जाएगी।

6 माह पहले क्लिनिक सील, दूसरी बार खोल लिया

संजू मालवीय नाम के युवक की पत्नी गर्भवती थी। उसके पेट में अचानक दर्द उठा तो उसकी सास श्यामू बाई उसे चरक अस्पताल लेकर पहुंच गई। यहां पर अस्पताल के बाहर मौजूद रिश्तेदार माया ने पांड्याखेड़ी में संचालित होने वाली क्लिनिक में नॉर्मल डिलीवरी कराने का आश्वासन दिया। यहां पर तैयबा शेख की ओर से 10 हजार रुपए लेकर डिलीवरी कराई। जब नवजात शिशु की हालत बिगडऩे लगी तो उसे चरक अस्पताल के आईसीयू वार्ड में भर्ती कराने के लिए ले जाया गया। यहां पर उसकी मौत हो गई।

दलाल माया प्रसूता को अस्पताल में छोडक़र भाग गई। साथ डॉ. तैयबा भी क्लिनिक से भी भाग गई थी। शिकायत होने पर स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई करते हुए क्लिनिक की जांच की तो वहां न तो संचालन का लाइसेंस था न ही तैयबा के पास डिलीवरी कराने के लिए जरूरी दस्तावेज थे। इसके बाद टीम ने कार्रवाई करते हुए क्लिनिक को सील कर दिया था। इसके बाद बच्चे का पीएम होने के बाद आरोपी डॉ. तैयबा के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई थी। सिर्फ 6 माह में उसने दूसरी बार अपना गोरखधंधा शुरू कर दिया और इस बार फिर एक बच्चे की जान ले ली।

3 अक्टूबर को किया था सील

माधव अस्पताल के अधीक्षक डॉ जितेंद्र रघुवंशी, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप कुमार सोमेश, डीएचओ जितेंद्र सिंह राजपूत सहित स्वास्थ्य विभाग के अमले ने घटना के अगले ही दिन 3 अक्टूबर को डॉक्टर शेख का मक्सी रोड स्थित आशीर्वाद अस्पताल सील कर दिया था। 6 अक्टूबर को फ्रीगंज स्थित विशेष अस्पताल भी पहुंचे। सभी जरूरी कागजात लिए थे। टीम ने कहा था कि जांच कलेक्टर को सौंपेंगे, जिसके बाद आगे की कार्रवाई वहीं से होगी।

सीएमएचओ  का आरोपित को बचाने का प्रयास?

सीएमएचओ डॉ. अशोक पटेल के मोबाइल पर जब कॉल लगाया गया तो पहले काल में पूरी घंटी गई। दूसरी कॉल लगाई गई तो उन्होंने इसे बीच में काट दिया। इससे समझ आता है कि इस मामले से सीएमएचओ अपनी दूरी बनाकर रखना चाहते हैं और आरोपित को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।

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