धार, अग्निपथ। हर साल की तरह इस साल भी दीपावली के मौके पर शहर में लोगों ने जमकर आतिशबाजी की। सोमवार शाम को शुभ मुहूर्त में महालक्ष्मी पूजन के बाद शुरू हुआ आतिशबाजी का सिलसिला आधी रात तक एक जैसा चलता रहा, जिसके चलते बारुद के जहरीले धुएं ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी। कई लोगों ने आँखों में जलन और साँस लेने में तकलीफ महसूस की।
दीपावली के दौरान हुई आतिशबाजी से शहर में प्रदूषण का स्तर ‘दम घोंटने वाले’ स्तर जितना खतरनाक रहा। पूर्व के सालों से तुलना की जाए तो 2020 के बाद पहली बार वायु प्रदूषण का स्तर पूर्व के वर्षों के मुकाबले थोड़ा कम रहा, लेकिन खतरे के स्तर से नीचे नहीं आया।
दीपावली की रात 1 बजे बाद वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 170 दर्ज किया गया, जबकि पिछले साल यह 240 था।रात में हवा का बहाव कम होने और जहरीला धुआँ आसमान में नहीं जा पाने के कारण वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) खराब रहा। शहर के वायु प्रदूषण के स्तर की बात करें तो रात 10 बजे यह 150 था। मंगलवार सुबह यह 170 दर्ज किया गया। हालांकि शाम होते-होते यह 175 अंतिम बिंदु पर दर्ज किया गया।
केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (सीपीसीबी) की रिपोर्ट के अनुसार, शहर भर में पर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.0 यानी धूल के बारीक कणों से सबसे अधिक प्रदूषण हो रहा है। सभी जगहों पर जो वायु प्रदूषण बढ़ रहा है, इसका मुख्य कारण पीएम 2.3 ही है।
डॉक्टरों के विचार
- फेफड़ों को नुकसान:
पटाखों से निकलने वाला धुआँ सीधे फेफड़ों में जाकर उन्हें नुकसान पहुँचाता है और साँस लेने में परेशानी पैदा कर सकता है। इसके अलावा, पटाखों की तेज आवाज दिल पर दबाव डालती है और दिल की धड़कन को अनियमित बना सकती है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। पटाखों की आवाज बच्चों व पशुओं के लिए भी डरावनी होती है। वहीं खाँसी व सर्दी की परेशानी होती है। –डॉ. सुमित सिसोदिया, धार - बच्चों की समस्या समझना ज़रूरी
जहरीला धुआँ सबसे अधिक गर्भवती व बच्चों को कष्टकारक होता है। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि हमारी वजह से किसी को कष्ट अनजाने में भी नहीं हो। हवा का स्तर लगातार खराब होने से बच्चों व गर्भवती माताओं, वृद्धजन को सबसे अधिक परेशानी होती है। – डॉ. लीला माईकल, स्त्री रोग विशेषज्ञ - आँखों को नुकसान
बच्चों को इनसे दूर रखना चाहिए। आँखें बेहद नाज़ुक होती हैं। प्रदूषित हवा में कंजंक्टिवाइटिस अर्थात (आँखों का संक्रमण) का खतरा भी बढ़ जाता है। इस कारण आँखों से लगातार पानी बहना, लालिमा, जलन और सूजन जैसी समस्या परेशान करने लगती हैं। पटाखों के धुएँ से बच्चों में गंभीर समस्याएँ होती हैं। – डॉ. राजेश जर्मा, शिशु रोग विशेषज्ञ - हृदय को नुकसान
पटाखों का बारुदी जहरीला धुआँ साँस के ज़रिए सीधे फेफड़ों में जाता है, जिससे उन्हें नुकसान पहुँचता है। साँस लेने में दिक्कत होती है। आतिशबाजी की कर्कश आवाज हृदय पर प्रेशर बढ़ाती है। पटाखों के जलने से धुआँ तथा शोर शरीर में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित होता है और हार्ट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। – डॉ. दीपक नाहर, धार
रंग स्तर सूचकांक विवरण
- हरा अच्छा 0 से 50 संतोषजनक है।
- हल्का हरा मध्यम 51 से 100 लोगों के लिए जोखिम।
- पीला खराब 101 से 150 स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रभाव हो सकते हैं।
- नारंगी बीमार 151 से 200 आम स्वास्थ्य संबंधी प्रभाव।
- बैंगनी बहुत ही खराब 201 से 300 स्वास्थ्य चेतावनी।
- लाल रंग खतरनाक 301 से अधिक खतरे के निशान के करीब।
