पीएचडी कांड: विक्रम विवि के कुलसचिव सहित पांच प्रोफेसर पर प्रकरण दर्ज

लोकायुक्त ने असली परीक्षा परिणाम जब्त किए,जल्द हो सकती गिरफ्तारी

उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम यूनिर्वसिटी में हुए पीएचडी कांड में करीब एक साल बाद बुधवार को कार्रवाई हो गई। मामले में लोकायुक्त ने परीक्षा परिणाम में धांधली के प्रमाण मिलने के बाद कुलसचिव सहित पांच प्रोफैसर के खिलाफ धोखाधड़ी सहित गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया है। आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी भी हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि विक्रम युनिर्वसिटी ने इंजीनियरिंग में पीएचडी प्रवेश परीक्षा ६ मार्च २०२२ को आयोजित हुई थी। इसके परिणाम में धांधली को लेकर यूथ कांंग्रेस के पूर्व प्रदेश सचिव बबलू खींची लगातार शिकायत कर रहे थे। निष्पक्ष जांच नहीं होने पर उन्होंने १८ मई २०२३ को लोकायुक्त में शिकायत की थी। मामले में एसपी अनिल विश्वकर्मा के आदेश पर निरीक्षक दीपक शेजवार ने जांच की। पता चला कि ओएमआर शीट के परिणाम में कांट-छांट कर ११ छात्रों को उत्तीर्ण किया गया था।

इन पर मुकदमा दर्ज

धांधली में विवि विद्यालय के कुलसचिव डॉ.प्रशांत पौराणिक, गोपनीय विभाग के सहायक कुल सचिव वीरेंद्र ऊचवारे, प्रोफेसर डॉ. पीके वर्मा, डॉ. गणपत अहिरवार, इंजीनियरिंग कॉलेज के प्रेाफेसर डॉ. वायएस ठाकुर की भूमिका पाए जाने पर पांचों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा ७ सी, आईपीसी की धारा ४२०, ४६८, ४७१, २०१ व १२० बी के तहत केस दर्ज कर दिया।

पहली बार में ही धांधली

बताया जाता है कि विक्रम यूर्निर्वसिटी में पहली बार इंजीनियरिंग में पीएचडी की परीक्षा हुई थी। आरोप है कि जिम्मेदारों ने अपनी मर्जी चलाते हुए बिना सब्जेक्ट के गाइड तय कर दिए थे। वहीं परीक्षा परिणाम तुरंत जारी करने के बजाए देर रात जारी किए थे। उसमें भी आंसर शीट में डबल गोले बना दिए थे।

सभी पर कार्रवाई नहीं तो कोर्ट

लोकायुक्त सूत्रों के अनुसार प्रांरभिक केस फिलहाल सामने आए प्रमाणों के आधार पर दर्ज हुआ है। मामले में और भी आरोपी बढ़ सकते हैं। वहीं शिकायतकर्ता कांग्रेस नेता बबलू खींची ने कहा कि पीएचडी कांड में और भी जिम्मेदार शामिल थे। सभी पर कार्रवाई नहींं होती है तो वह बचे हुए आरोपियों पर कोर्ट जाकर केस लगवाएंगे।

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