उज्जैन: इंजीनियर पीयूष भार्गव को क्लीन चिट, सिंहस्थ परियोजनाओं की कमान संभालेंगे

पीयूष भार्गव को क्लीन चिट

 

उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम उज्जैन में चल रहे प्रोजेक्ट सेल और आगामी सिंहस्थ परियोजनाओं से संबंधित कार्यों में तेज़ी लाने के लिए, प्रभारी कार्यपालन यंत्री (संविदा) पीयूष भार्गव को क्लीन चिट मिलने के बाद तत्काल प्रभाव से पर्यवेक्षण का आदेश दिया गया है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब निगम में अनुभवी इंजीनियरों की कमी के कारण सिंहस्थ से संबंधित कार्य प्रभावित हो रहे थे, जिससे इन महत्वपूर्ण परियोजनाओं को गति नहीं मिल पा रही थी।

पीयूष भार्गव को क्लीन चिट और नए कार्यभार का घटनाक्रम

पीयूष भार्गव की नियुक्ति को लेकर चल रही अटकलों पर 29 जुलाई को विराम लग गया, जब नगर निगम आयुक्त आशीष पाठक ने उनके कार्य संबंधी आदेश जारी कर दिए। इससे पहले, मेयर इन काउंसिल से हरी झंडी मिलने के बाद पीयूष भार्गव के कार्यपालन यंत्री का पदभार संभालने की संभावना प्रबल हो गई थी।

यह भी ज्ञात हो कि उपयंत्री निशा वर्मा द्वारा पीयूष भार्गव के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत की जांच रिपोर्ट मेयर इन काउंसिल में पेश की गई थी। इस जांच में उन्हें केवल “मानसिक उत्पीड़न” का दोषी ठहराया गया। इसी रिपोर्ट के आधार पर आयुक्त आशीष पाठक ने मंगलवार को आदेश जारी कर उन्हें तत्काल कार्यभार ग्रहण करने का निर्देश दिया।

शिकायत और जांच का विवरण

दरअसल, नगर निगम में संविदा पर कार्यरत पीसी यादव और पीयूष भार्गव को 20 फरवरी 2025 से अगले एक वर्ष के लिए प्रभारी कार्यपालन यंत्री (संविदा) के पद पर अवधि वृद्धि की अनुमति दी गई थी। संविदा नियुक्ति हेतु मेयर इन काउंसिल नियोक्ता प्राधिकारी होने के कारण, इनकी संविदा अवधि बढ़ाने के लिए सक्षम स्वीकृति हेतु संक्षिप्तिका नगर निगम सचिव को भेजी गई थी।

निगम सचिव के पत्र के क्रम में, यह उल्लेख किया गया था कि महापौर द्वारा मेयर इन काउंसिल की स्वीकृति की प्रत्याशा में प्रस्ताव को स्वीकार किया गया है। इसके बाद, स्थापना शाखा द्वारा आदेश जारी कर पीसी यादव और पीयूष भार्गव की संविदा सेवा की अवधि 20 फरवरी 2025 से अगले एक वर्ष के लिए बढ़ा दी गई थी।

लेकिन, 17 मार्च 2025 को उपयंत्री श्रीमती निशा वर्मा ने प्रभारी कार्यपालन यंत्री पीयूष भार्गव के विरुद्ध एक लिखित शिकायत आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें ऑडियो रिकॉर्डिंग और व्हाट्सएप चैट के स्क्रीनशॉट संलग्न थे। इसमें उन्होंने भार्गव पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने का अनुरोध किया था।

श्रीमती निशा वर्मा द्वारा प्रस्तुत आवेदन की गंभीरता को देखते हुए, एक जांच समिति गठित की गई, जिसमें उपायुक्त कृतिका भीमावत को अध्यक्ष, उपायुक्त आरती खेडेकर को सदस्य और उपायुक्त मनोज मौर्या को सदस्य सचिव नामित किया गया। जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए उन्हें आदेशित किया गया।

इसी दौरान, पीयूष भार्गव को विभिन्न आदेशों से आवंटित समस्त प्रभारों से मुक्त कर दिया गया था। 17 मार्च 2025 को आयोजित मेयर इन काउंसिल की बैठक में महापौर द्वारा दी गई स्वीकृति की पुष्टि हेतु प्रकरण प्रस्तुत किया गया।

गठित जांच समिति ने नियमानुसार प्रकरण की सूक्ष्मता से जांच कर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। इस रिपोर्ट में जांच समिति ने उल्लेख किया कि प्रथम दृष्टया यह पाया गया कि पीयूष भार्गव द्वारा श्रीमती निशा वर्मा को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया था।

बैठक में आयुक्त द्वारा यह भी अवगत कराया गया कि शिकायतकर्ता श्रीमती निशा वर्मा द्वारा इस संबंध में पुलिस थाने में भी एफआईआर दर्ज कराई गई है और कार्रवाई प्रचलित है। चूंकि थाने में कार्रवाई प्रचलित है, इस कारण जांच प्रतिवेदन का बंद लिफाफा संबंधित पुलिस थाने को भेजा जाए। यह भी निर्णय लिया गया कि पुलिस विभाग द्वारा की गई कार्रवाई/निष्कर्ष या कोई न्यायालयीन आदेश होने पर, उसकी प्रति मेयर इन काउंसिल के समक्ष प्रस्तुत की जाए और विधि सम्मत कार्रवाई की जाए। इन्हीं सब प्रक्रियाओं के बाद ही निगम आयुक्त ने पीयूष भार्गव को कार्य करने संबंधी आदेश जारी किए।

इंजीनियरों की कमी से सिंहस्थ कार्य प्रभावित

नगर निगम में यंत्री और उपयंत्रियों की कमी के कारण सिंहस्थ के कार्य प्रभावित हो रहे हैं। जानकारी के अनुसार, कोई भी यंत्री और उपयंत्री उज्जैन नगर निगम में पदस्थ नहीं होना चाहता है। इसलिए अनुभवी इंजीनियरों की कमी के कारण सिंहस्थ के कार्य प्रभावित हो रहे थे। ऐसे में, पीयूष भार्गव के निगम में पदभार संभालने के बाद निगम के जानकारों को लग रहा है कि अब सिंहस्थ के कार्यों को गति मिलेगी।

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