प्रधानमंत्री से 4 मिनट ऑनलाइन बात कराने का खर्च एक लाख से भी ज्यादा

योजना का ढिंढोरा पीटने पानी की तरह बहा दिया पैसा : इतने में 10 से ज्यादा जरूरतमंदों की कर सकते थे मदद

उज्जैन, अग्निपथ। प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना कुल 10 हजार रुपए का लोन, 4 मिनट 33 सेकेंड की प्रधानमंत्री से बात और केवल इसके दिखावे पर ही एक लाख रुपए से ज्यादा फूंक दिए जाए तो इसे आप क्या कहेंगे। जी, हां उज्जैन की नाजमींन शाह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ऑनलाइन बातचीत कराने के लिए ही नगर निगम ने जो सेटअप लगाया था, उस पर तकरीबन एक लाख रुपए का खर्च आया है।

डिजिटल इंडिया अभियान के 6 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र की वित्तपोषित योजनाओं का लाभ लेने वाले लोगों से बात की। उज्जैन के नागझिरी इलाके में रहकर सब्जी बेचने वाली महिला नाजमीन शाह का भी गुरुवार दोपहर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑनलाइन बात करने के लिए चयन किया था। इस महिला को प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अंतर्गत 10 हजार रुपए का लोन मिला था। लोन की रकम से उसने फलों का ठेला लगाया, एक लोन चुकाने के बाद उसे 20 हजार रुपए का लोन दोबारा स्वीकृत हुआ। इस महिला की प्रधानमंत्री से कुल 4 मिनट 33 सेकंड बात हुई। सडक़ पर फलों का ठेला लगाने वाली महिला से प्रधानमंत्री की केवल ऑनलाइन बात कराने पर ही इतनी रकम खर्च हो गई जितने में दूसरे 10 से ज्यादा लोगों को लोन बांट दिए जाते।

नगर निगम ने यहां तकरीबन 60 फीट लंबा और इतनी ही चौड़ाई का एल्युमिनियम फ्रेम का डोम लगाया था। इस डोम का किराया ही 22 रुपए स्क्वेयर फीट है। एक दिन पहले से यह डोम लगा दिया गया था। इसके अलावा इंदौर से कैमरे और आपरेटर्स की टीम, प्रोजेक्टर और हाईस्पीड इंटरनेट की व्यवस्था जिला प्रशासन के माध्यम से कराई गई। खास बात यह है कि इतने लंबे तामझाम, 25-50 कुर्सियां, डोम इतनी व्यवस्थाएं होने के बाद भी प्रधानमंत्री की स्क्रीन तक सडक़ और सडक़ किनारे फलों का ठेला लेकर बैठी नाजमीन शाह के ही कुटेज पहुंचे। बाकी सारी व्यवस्थाएं पर्दे के पीछे ही रही।

डिजिटल पेमेंट कर प्रधानमंत्री को बताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत के दौरान नाजमीन शाह ने उन्हें अपने मोबाइल फोन के जरिए ऑनलाइन पेमेंट करके भी दिखाया। इस महिला ने मोबाइल एप से फल व्यापारी को 1520 रुपए का पेमेंट किया। अब इनके पति को भी स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 2 लाख रुपए का लोन मिलने जा रहा है।

इनका कहना

स्थल पर जो भी व्यवस्थाएं की गई वे सभी जरूरी थी। जब बिल आएंगे तब पता चलेगा कितनी राशि खर्च हुई। अभी तो सारी व्यवस्थाएं मौखिक आधार पर ही जुटा ली गई थी। – सुबोध जैन, उपायुक्त नगर निगम

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