धार, अग्निपथ। धार-मांडू रोड स्थित केएसएस अस्पताल में इलाज के दौरान एक महिला की मौत के मामले ने जिले के स्वास्थ्य तंत्र में हड़कंप मचा दिया है। स्वास्थ्य विभाग की जाँच में अस्पताल में गंभीर अनियमितताएँ सामने आने के बाद शनिवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. आर.के. शिंदे ने टीम के साथ अस्पताल को तत्काल प्रभाव से सात दिन के लिए सील कर दिया। वहीं, इस मामले में पुलिस ने अस्पताल प्रबंधक के ख़िलाफ़ प्रकरण दर्ज कर लिया है, जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं।
यह पूरा मामला पिंकी पति सुरेश मकवाना (निवासी बिलोदिया, नालछा) की $1$ अक्टूबर को हुई मौत से जुड़ा है। पिंकी सिकल सेल एनीमिया और पीलिया से पीड़ित थीं, और 27 सितंबर को उनकी डिलीवरी कराई गई थी। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधक ने महिला की सुरक्षित डिलीवरी की गारंटी दी थी, लेकिन इलाज में घोर लापरवाही बरती गई, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। स्वास्थ्य विभाग की जाँच रिपोर्ट में भी लापरवाही की पुष्टि हुई। इसी आधार पर पुलिस ने प्रबंधक के खिलाफ कानूनी धाराओं के तहत प्रकरण दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी है।
जाँच रिपोर्ट में खुलीं गंभीर अनियमितताएँ:
मृत्यु के बाद 3 अक्टूबर को तीन सदस्यीय जाँच दल गठित किया गया था, जिसने 15 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इस रिपोर्ट में अस्पताल प्रबंधन की कई गंभीर लापरवाहियाँ सामने आईं:
- विशेषज्ञ की अनदेखी: सिकल सेल और पीलिया पीड़ित मरीज़ की एमडी मेडिसिन विशेषज्ञ से फिटनेस नहीं ली गई।
- असुविधा में जोखिम भरा ऑपरेशन: टर्शरी लेवल सुविधाओं के बिना हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का सर्जिकल प्रबंधन किया गया।
- रिकॉर्ड में हेरफेर: ओटी (ऑपरेशन थिएटर) पंजी में कूट रचना कर वास्तविक निश्चेतना विशेषज्ञ (Anaesthetist) की जगह किसी और का नाम दर्ज किया गया।
- सरकारी डॉक्टर का उपयोग: शासकीय चिकित्सकों की सेवाएँ निजी संस्थान में उपयोग की गईं, जो नियम का उल्लंघन है।
- अधूरा रिकॉर्ड: ओटी कल्चर रिपोर्ट तीन माह पुरानी पाई गई, तथा फॉर्म-डी रिकॉर्ड भी अधूरा पाया गया।
अस्पताल सील, मरीज़ों को किया शिफ्ट
जाँच रिपोर्ट के आधार पर सीएमएचओ ने अस्पताल का पंजीयन सात दिन के लिए निलंबित करते हुए सील करने का आदेश जारी किया। शनिवार दोपहर करीब डेढ़ बजे सीएमएचओ डॉ. शिंदे टीम के साथ पहुँचे। मौके पर भर्ती छह से सात मरीज़ों को दोपहर तीन बजे तक अन्य अस्पतालों में शिफ्ट करने का निर्देश दिया गया। मरीज़ों को शिफ्ट करने के बाद पुलिस बल की मौजूदगी में अस्पताल को सील कर दिया गया।
थाना प्रभारी समीर पाटीदार ने बताया कि सीएमएचओ कार्यालय से प्राप्त रिपोर्ट के आधार पर केएसएस अस्पताल प्रबंधक पर प्रकरण दर्ज कर विवेचना शुरू कर दी गई है और जल्द ही आगामी वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठते सवाल
इस घटना के बाद जिले के निजी अस्पतालों के संचालन पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। जयस संगठन ने दूसरे दिन भी धरना जारी रखा और मांग की कि रेडक्रॉस से पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता दी जाए और जिले के सभी निजी अस्पतालों की व्यापक जाँच की जाए। लोगों का कहना है कि जिले में सौ से अधिक निजी व अवैध अस्पताल संचालित हो रहे हैं, लेकिन नियमित निरीक्षण के अभाव में ये संस्थान मनमानी कर रहे हैं।
इस कार्रवाई को एक आवश्यक शुरुआत माना जा रहा है, लेकिन ज़रूरी है कि ‘लाभ कमाने’ की दौड़ में मानव जीवन से खिलवाड़ न हो, इसके लिए सभी निजी अस्पतालों का वार्षिक ऑडिट, चिकित्सकीय फिटनेस और सेवा मानक की जाँच अनिवार्य की जाए।
