उज्जैन में दिग्गज वैज्ञानिकों ने स्कूल के विद्यार्थियों के साथ भविष्य की चुनौतियों पर खुलकर बात की
उज्जैन, अग्निपथ। सम्राट विक्रमादित्य विश्वविद्यालय में रासायनिक एवं सतत विज्ञान में अभूतपूर्व नवाचारों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन 2025 (BICCS) का दूसरा दिन ज्ञान और जिज्ञासा के अद्भुत संगम का साक्षी बना। इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में देश-विदेश के शीर्ष वैज्ञानिकों ने हरित रसायन, शिक्षा के पुनर्गठन और 21वीं सदी की ज़रूरतों पर गहन चर्चा की। कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण पद्मश्री प्रो. डॉ. जी.डी. यादव का विशेष संवाद सत्र रहा, जहाँ उन्होंने स्कूल के विद्यार्थियों के साथ भविष्य की चुनौतियों पर खुलकर बात की।
प्रो. यादव ने विद्यार्थियों के सवालों का जवाब देते हुए स्पष्ट किया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) केवल त्वरित सूचना और विश्लेषण दे सकती है, लेकिन यह कभी भी प्राकृतिक बुद्धिमत्ता (Natural Intelligence) को विस्थापित नहीं कर सकती। उन्होंने जिज्ञासु विद्यार्थियों की सराहना करते हुए उन्हें ही राष्ट्र का भविष्य बताया।
विज्ञान शिक्षा की पुनर्रचना और हरित पाठ्यक्रम पर व्याख्यान
सम्मेलन के दूसरे दिन की शुरुआत डॉ. ए.के. बख्शी के व्याख्यान से हुई। उन्होंने ’21वीं सदी की सीखने की ज़रूरतों के लिए रसायन विज्ञान शिक्षा की पुनर्रचना’ विषय पर अपने विचार रखे।
इसके बाद मलेशिया की डॉ. सुबर्ना शिवपालन ने ‘हरित पाठ्यक्रम निर्माण: संस्थान के समग्र दृष्टिकोण से प्रणाली के समग्र दृष्टिकोण तक’ विषय पर महत्वपूर्ण जानकारी दी। तीसरे सत्र में डॉ. देबायन सरकार (आईआईटी इंदौर) ने ‘ट्राइब्रोमाइड टूल्स का उदय: 3डी आणविक ढांचे के लिए सटीक डरोमैटाइजेशन’ पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।
विद्यार्थियों ने पूछे ग्लोबल वार्मिंग और AI से जुड़े तीखे सवाल
उज्जैन एवं तराना के हायर सेकेंडरी स्कूल के विद्यार्थियों ने प्रो. जी.डी. यादव से ‘सस्टेनेबल फ्यूचर: संभावनाएं एवं चुनौतियां’ विषय पर प्रश्न पूछे। विद्यार्थियों के जिज्ञासा भरे प्रश्न कुछ इस प्रकार थे:
हरित रसायन (ग्रीन केमिस्ट्री) क्या होती है?
रसायन शास्त्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का क्या रोल है?
विकास और वन कटाई एक साथ कैसे चल सकते हैं?
ग्लोबल वार्मिंग को कम कैसे किया जा सकता है?
प्रो. यादव ने सरल शब्दों में इन सभी प्रश्नों का उत्तर दिया और बताया कि जिज्ञासु विद्यार्थी ही जीवन पथ पर उन्नतिशील होते हैं।
रोचक प्रयोगों से सिखाया सस्टेनेबल विज्ञान
एक अन्य सत्र में विशेषज्ञों ने अत्यंत कम मात्रा में रसायनों के उपयोग से सस्टेनेबल प्रयोग के माध्यम से सीखने और समझने की प्रक्रिया को रोचक तरीके से समझाया। डॉ. एम. स्वामीनाथन, डॉ. एन मोहनदास सिंह और प्रो. आर. एम. जुगाड़े ने बताया कि कैसे फूड कलर का उपयोग करके भारतीय तिरंगे झंडे की प्रतिकृति बनाई जाती है।
प्रो. निखिलेश आसन विज्ञान भाभा ने कार्ड्स के माध्यम से आवर्त सारणी को याद करने के रोचक तरीके भी सिखाए। शैक्षिक सत्रों के बाद, एक उल्लासमय सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ सम्मेलन के दूसरे दिन का सफलतापूर्वक समापन हुआ।
