महाकाल के शृंगार में लगने वाली भांग अब मंदिर समिति पुजारियों को तौल कर देगी

महाकाल का भांग शृंगार

समिति इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटा मंगवा रही, जल्द शुरू होगी नई व्यवस्था

उज्जैन, अग्निपथ। ज्योतिर्लिंग महाकाल के शृंगार में लगने वाली भांग (विजया) को अब मंदिर प्रबंध समिति पुजारियों को तोल कर देगी। ताकि तय से अधिक मात्रा में शृंगार के दौरान भांग का उपयोग नहीं किया जा सके। अभी शृंगार के लिए पुजारी खुद बाजार से भांग लेकर आते हैं और इसका उपयोग करते हैं। लेकिन उक्त भांग कितनी होती है इसे कोई चेक नहीं करता है।

यह बात अलग है कि पुजारी मंदिर प्रबंध समिति के नियम का पालन करते हुए तय मात्रा में 3 किलो से अधिक भांग नहीं लाते हैं। लेकिन पिछले दिनों भांग राजसी सवारी के दौरान संध्या आरती से पूर्व गर्भगृह में भगवान महाकाल का भांग शृंगार गिरने के बाद इसे लेकर एक नया विवाद शुरू हो गया है। कोई कह रहा है कि भांग ज्यादा मात्रा में उपयोग की गई इससे शृंगार गिरा तो कोई यह कह रहा हे कि महाकाल का भांग से शृंगार करने का विधान ही नहीं है।

ऐसे में समिति ने निर्णय लिया है कि इस तरह के अनावश्यक विवाद से बचने के लिए क्यों न शृंगार के लिए पुजारियों को भांग तोल कर दी जाएं। इसके लिए समिति ने इलेक्ट्रॉनिक तोल कांटा मंगवाया है। जल्द ही यह नई व्यवस्था शुरू कर दी जाएगी। इसे लेकर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने कहा कि अभी तक पुजारी स्वयं भांग लाकर शृंगार करते आए है। लेकिन अब समिति इलेक्ट्रॉनिक तौल कांटे से भांग तोलने के बाद पुजारी को देगी।

विद्वत परिषद अध्यक्ष बोले- भांगशृंगार का शास्त्र में उल्लेख नहीं, इससे क्षरण हो रहा

मंदिर में पिछले दिनों श्रृंगार गिरने का मामला सामने आने के बाद उज्जैनीय विद्वत परिषद ने बयान जारी कर कहा है कि भगवान महाकाल का विजया श्रृंगार तत्काल बंद कर देना चाहिए। परिषद के अध्यक्ष एवं उज्जैन में संभागायुक्त रहे डॉ. मोहन गुप्त ने कहा कि यहां किसी भी शास्त्र में भांग से श्रृंगार करने का कोई उल्लेख नहीं मिलता है। इससे शिवलिंग का क्षरण यानी नुकसान हो रहा है। पुजारी पैसा कमाने के लिए, अपने यजमानों को खुश करने के लिए बड़ी मात्रा में शिवलिंग पर भांग चढ़ा रहे हैं।

मंदिर के पुजारी भडक़े, सन् 1978 से भी पहले से महाकाल को भांग चढ़ाई जा रही

भांग नहीं चढ़ाने के विषय पर महाकाल मंदिर के महेश पुजारी ने कहा कि हर चीज वेद और पुराण में नहीं मिलेगी। मंदिर के पुजारी न्यायालय की गाइड लाइन के अनुसार ही प्रतिदिन होने वाले शृुंगार में भांग अर्पित करते हैं। शृंगार के दौरान भांग गिरना एक सामान्य और प्राकृतिक घटना हो सकती है। गर्भगृह में मौसम के अनुसार नमी बनी रहती है। इसलिए कई बार शृंगार गिर जाता है। ऐसा पहले भी हो चुका है। यह भी स्पष्ट कर दे कि सन् 1978 के भी पहले से महाकाल को भांग चढ़ाई जा रही है।

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