नलखेड़ा, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध मां बगलामुखी मंदिर के पास भू-माफियाओं का नापाक खेल सामने आया है! मां बगलामुखी लोक बनने की चर्चाओं और प्रॉपर्टी के आसमान छूते दामों के बीच, भू-माफियाओं ने मंदिर से सटी शासकीय पट्टों की बेशकीमती जमीन पर गिद्धों की तरह अपनी नजरें गड़ा ली हैं। राजनेताओं के रसूख, धनबल और राजस्व विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से करोड़ों की सरकारी जमीन पर अवैध कॉलोनियां काटी जा रही हैं और भोली-भाली जनता को झांसा देकर प्लॉट बेचे जा रहे हैं।
इस महाघोटाले को लेकर एक सामाजिक कार्यकर्ता ने कलेक्टर आगर-मालवा से शिकायत की है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इतने दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जिससे प्रशासन की नीयत पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता जितेंद्र सिंह यादव, निवासी बड़ागांव, ने 15 जुलाई, 2025 को कलेक्टर आगर-मालवा को दिए अपने शिकायती आवेदन में बताया कि पटवारी हल्का ग्राम डोकरपूरा में स्थित सर्वे क्रमांक 5 की भूमि, जो विश्व प्रसिद्ध मां बगलामुखी मंदिर, नलखेड़ा के ठीक बगल में है, उस पर भू-माफियाओं ने अवैध कब्जा कर लिया है।
यह भूमि मूल रूप से वर्ष 1963-64 में तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी सुसनेर द्वारा मध्य प्रदेश शासन की ओर से हरिजन कृषि सहकारी साख संस्था को गरीब और वंचित वर्ग के भरण-पोषण के लिए पट्टे के रूप में दी गई थी। हालांकि, वर्ष 1990 में हरिजन कृषि सहकारी संस्था के भंग हो जाने के बाद, यह भूमि पुन: शासकीय दर्ज हो गई थी।
फर्जीवाड़े का खेल: करोड़ों की सरकारी जमीन का अवैध नामांतरण
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि संस्था के भंग होने के कुछ समय बाद, कुछ फर्जी सदस्यों ने राजस्व अधिकारियों को ‘लेनदेन’ कर वर्ष 2000 में प्रकरण क्रमांक 7 अ 6, 1996-97 के माध्यम से इस भूमि का अपने नाम पर अवैध नामांतरण स्वीकृत करवा लिया। यह पूरी प्रक्रिया बिना किसी उचित जांच के संपन्न हुई, जिसमें तत्कालीन तहसीलदार, पटवारी और राजस्व निरीक्षक की सीधी संलिप्तता बताई जा रही है। भू-माफियाओं इस धोखाधड़ी से मध्य प्रदेश शासन को अपनी बेशकीमती शासकीय भूमि का भारी नुकसान हो रहा है।
जितेंद्र सिंह यादव ने यह भी बताया कि तत्कालीन कलेक्टर अजय गुप्ता और तहसीलदार नलखेड़ा आशीष अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि उक्त भूमि के संबंध में किसी भी प्रकरण में पट्टों के रिकॉर्ड संबंधी कोई प्रमाण न तो तहसील कार्यालय में उपलब्ध हैं और न ही किसानों के पास। इससे साफ जाहिर होता है कि पट्टा वितरण की कार्यवाही अवैधानिक थी। इसके बावजूद, इस शुद्ध रूप से मध्य प्रदेश शासन की भूमि पर भू-माफियाओं द्वारा अवैध कॉलोनी का निर्माण धड़ल्ले से किया जा रहा है।
शासन पर लगे गंभीर आरोप, प्रशासनिक अधिकारियों की मंशा पर सवाल
शिकायतकर्ता ने शासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि यदि हरिजन कृषि संस्था वर्तमान में चलायमान है, तो यह भूमि किन प्रावधानों के तहत हस्तांतरित होती रही, यह विचारणीय प्रश्न है। अहस्तांतरणीय भूमि पट्टों को शासन के ही अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा अपने निजी नियमों के अनुसार भू-माफियाओं को हस्तांतरित कर दिया गया।
किसी भी सक्षम अधिकारी का हस्तांतरण के संबंध में कोई आदेश नहीं होने के बावजूद, इस भूमि को बार-बार क्रय-विक्रय करके हस्तांतरित किया गया।
शिकायत में यह भी बताया गया है कि यह भूमि पूर्व में शासन द्वारा हरिजन कृषि सहकारी संस्था के सदस्यों को पारिवारिक भरण-पोषण हेतु दी गई थी, न कि विधि विरुद्ध तरीके से क्रय-विक्रय करने के लिए।
जितेंद्र सिंह यादव द्वारा सर्वे क्रमांक 5 की भूमि के अवैध क्रय-विक्रय को लेकर कलेक्टर आगर-मालवा को लिखित में जानकारी देने के बाद भी, इतने दिन बीत जाने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा भू-माफियाओं कोई कार्रवाई नहीं करना, प्रशासनिक अधिकारियों की मंशा पर गंभीर प्रश्न चिन्ह खड़े कर रहा है।
पार्किंग के लिए उपयुक्त भूमि, फिर भी शासन मौन?
शिकायतकर्ता ने एक महत्वपूर्ण बिंदु की ओर भी ध्यान दिलाया है कि मां बगलामुखी मंदिर के आसपास पार्किंग की गंभीर समस्या है। बाहर से आने वाले चार पहिया वाहनों के लिए पार्किंग न होने से श्रद्धालुओं को काफी परेशानी होती है, और प्रशासन के लिए भी पार्किंग व्यवस्था एक विकराल चुनौती बन गई है। सर्वे क्रमांक 5 की यह भूमि मंदिर के ठीक समीप स्थित है और इसका रकबा 52 बीघा होने के कारण यह पार्किंग के लिए सबसे उपयुक्त है। यदि शासन इस भूमि को भू-माफियाओं के चंगुल से मुक्त करा पाता है, तो पार्किंग की बड़ी समस्या का समाधान हो सकेगा।
