मंत्री ने किया वादा, 2 करोड़ रुपये स्वीकृत… मगर 2 साल से अटका महिषासुर मर्दिनी मंदिर का विकास कार्य

सुशासन पर गंभीर सवाल

शाजापुर,अग्निपथ। प्रदेश में देवस्थलों के विकास और पर्यटन को बढ़ावा देने के सरकारी दावों के बीच, शाजापुर जिले के शुजालपुर स्थित महिषासुर मर्दिनी माता मंदिर की विकास परियोजना प्रशासनिक उदासीनता का जीता-जागता उदाहरण बन गई है। वरिष्ठ मंत्री इंदरसिंह परमार द्वारा करीब दो वर्ष पहले इस मंदिर को धार्मिक और पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की घोषणा की गई थी, जिसके लिए 2 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत हुई और ठेका प्रक्रिया भी पूरी हुई।

भुगतान फंसा, विकास थमा: ठेकेदार को 58 लाख रुपये का इंतजार

ठेकेदार ने बाउंड्री वॉल, दुकानें, लाइटिंग और बेंच जैसे प्रारंभिक कार्य पूरे भी कर दिए थे, जिसके एवज में उसे करीब 58 लाख रुपये का भुगतान किया जाना था। लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों की घोर निष्क्रियता के कारण ठेकेदार को उसका बकाया भुगतान नहीं हो सका। भुगतान न होने के चलते काम वहीं ठप्प हो गया, और अब मंदिर की विकास योजना का अधूरा ढाँचा जिम्मेदारों को मुँह चिढ़ा रहा है।

ठेकेदार बालचंद्र शास्त्री ने अपनी बेबसी जाहिर करते हुए बताया, “हमने काम पूरा कर दिया था, लेकिन शुरुआती 58 लाख रुपये के बिल का भुगतान दो साल से अटका हुआ है। मजदूरों को पैसा न दे पाने के कारण हमें काम रोकना पड़ा।”

डीएमएफ पोर्टल पर फँसा पेंच: मंत्री के आदेश भी बेअसर

प्रशासन इस मामले पर यह कहकर पल्ला झाड़ रहा है कि “राशि डीएमएफ (जिला खनिज प्रतिष्ठान) पोर्टल पर स्वीकृत नहीं हुई है।” सवाल यह है कि स्थानीय विकास के लिए बने डीएमएफ फंड की स्वीकृति दो साल तक क्यों नहीं हुई? विभागों के बीच केवल पत्राचार होता रहा और नतीजा सिर्फ ‘विचाराधीन’ रहा, जिससे प्रशासनिक जटिलताएँ जनता के हित पर भारी पड़ गईं।

इससे भी बड़ा सवाल यह है कि जब प्रदेश सरकार के वरिष्ठ मंत्री इंदरसिंह परमार ने स्वयं संबंधित सचिवों और कलेक्टर को भुगतान जारी करने के निर्देश दिए थे, उसके बावजूद कार्रवाई क्यों नहीं हुई? शुजालपुर के लोग अब कह रहे हैं, “जब मंत्री की बात का ही असर नहीं रहा, तो अब आम जनता की कौन सुनेगा?” यह स्थिति प्रदेश की नौकरशाही पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

आस्था का स्थल हुआ वीरान, जनता में गहरा अविश्वास

महिषासुर मर्दिनी माता मंदिर आज अधूरे निर्माण की कहानी कह रहा है। टूटी दीवारें और बिखरे हुए ढांचे इस बात के गवाह हैं कि कैसे प्रशासनिक उदासीनता ने आस्था पर पानी फेर दिया। मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि सरकार ने सपना दिखाया, मगर आज सब अधूरा है, जिसके चलते भक्तों की संख्या घट रही है और स्थानीय दुकानदारों की रोज़ी-रोटी प्रभावित हुई है। यह केवल परियोजना का ठप्प होना नहीं, बल्कि जनता के विश्वास का टूटना है।

सूत्रों के अनुसार, शाजापुर में कई अन्य डीएमएफ परियोजनाएँ भी इसी तरह अधूरी पड़ी हैं, जहाँ फंड फाइलों में कैद है। यह मामला अब राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है, जहाँ सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ नेता भी मान रहे हैं कि यह पूरे सिस्टम की पोल खोलता है। ‘सुशासन’ के दावे खोखले साबित हो रहे हैं, जब विकास की परियोजनाएँ फाइलों में दम तोड़ रही हैं और मंत्री के आदेशों की ताकत सीमित हो चुकी है।

स्थानीय जनता की मांग है कि इस मामले की निष्पक्ष जाँच हो, भुगतान तत्काल किया जाए और जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो, अन्यथा शासन की विश्वसनीयता टूट जाएगी।

Next Post

मंदिरों की दानपेटी तोड़ने वाला शातिर चोर गिरफ्तार

Sun Nov 23 , 2025
सीहोर,अग्निपथ। सीहोर कोतवाली पुलिस ने रात के अंधेरे का फायदा उठाकर मंदिरों की दानपेटी को निशाना बनाने वाले शातिर चोर को गिरफ्तार करने में सफलता प्राप्त की है। पुलिस ने आरोपी के पास से मंदिर से चोरी गई दानपेटी, नगदी, और चोरी के रुपयों से खरीदा गया एक मोबाइल सहित कुल […]

Breaking News