महाकालेश्वर मंदिर कर्मचारियों की महीनों से रोटेशन डयूटी बंद

एक ही जगह पर रह कर मनमानी, प्रभारी कभी नहीं हुए इधर से उधर

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकाल मंदिर में वरिष्ठ अधिकारियों की अनदेखी के चलते काफी समय से रोटेशन ड्यूटी कर्मचारियों की नहीं लग रही है। एक ही जगह पर रहकर कर्मचारी अपनी मर्जी का मालिक बने हुए हैं। व्यवस्थाओं में जो सुधार होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा है। प्रभारियों का आज तक रोटेशन ड्यूटी के तहत व्यवस्थागत परिवर्तन नहीं हो पाया है।

तत्कालीन प्रशासक सोजान सिंह रावत ने कर्मचारियों की रोटेशन ड्यूटी प्रतिमाह परिवर्तित कर लगाने के निर्देश प्रदान किए थे। शुरुआत में तो उनके निर्देशों का पालन कर कर्मचारियों के इधर से उधर किया गया था। लेकिन उनका स्थानांतरण होने के बाद रोटेशन ड्यूटी एक तरह से भुला दी गई है। जो कर्मचारी जहां पदस्थ है। वहीं का मालिक बन कर बैठा हुआ है। कई कर्मचारी तो ऐसे हैं जो एक ही जगह पर बैठकर मालामाल हो रहे हैं।

पूर्व प्रशासन द्वारा जाने से पूर्व प्रोटोकॉल शाखा, हरसिद्धि धर्मशाला आदि के कर्मचारियों को इधर से उधर किया गया था। लेकिन इसके बाद से रोटेशन ड्यूटी लगना बंद हो गई और कर्मचारी निश्चिंत होकर अपनी जगह पर बैठकर गादीपति बने हुए हैं।

सॉफ्टवेयर बनाने को कहा था

पूर्व प्रशासक श्री रावत द्वारा महाकालेश्वर मंदिर की प्रशासक पद पर कमान संभालने के बाद उन्होंने आईटी शाखा प्रभारी राजकुमार सिंह को सॉफ्टवेयर बनाने को कहा था जिसमें कर्मचारी का ऑटोमेटिक प्रतिमाह रोटेशन होता रहे। आईटी शाखा प्रभारी द्वारा ना तो आज तक कोई सॉफ्टवेयर विकसित किया गया और ना ही इसके माध्यम से कर्मचारियों को रोटेशन करना शुरू किया गया। पूर्व प्रशासक के निर्देश कर्मचारी किस तरह से हवा में निकालते हैं। यह इसका जीता जागता उदाहरण है।

पूर्व संभागायुक्त ने पकड़ी थी हेराफेरी

कुछ माह पूर्व संभागायुक्त आनंद कुमार शर्मा महाकालेश्वर मंदिर के औचक निरीक्षण पर आए थे। उन्होंने प्रशासनिक कार्यालय में रखे हुए उपस्थिति रजिस्टर को भी चैक किया था। जिसमें कई कर्मचारी महीनों से अनुपस्थित मिले और उन्होंने रजिस्टर में साइन भी नहीं किए थे। ऐसे कर्मचारियों की संख्या 70 के लगभग थी। इन कर्मचारियों को बाद में माफ कर दिया गया था। लेकिन अब फिर इसी तरह का रजिस्टर ड्यूटी में उपस्थिति लगाने में गोलमाल किया जा रहा है। इसकी ओर देखने वाला कोई नहीं है। यह सब एक ही जगह पर पदस्थ रहने के कारण हुआ है।

प्रभारियों का नहीं हो पाया रोटेशन

रोटेशन ड्यूटी के तहत प्रभारियों को भी इधर से उधर किया जाना था। लेकिन ऐसा नहीं किया जाकर केवल उस वक्त कर्मचारियों का ही स्थानांतरण किया गया था। प्रभारियों का स्थानांतरण नहीं करने के पीछे मंदिर के अधिकारियों का तर्क था कि उनको उस जगह का ज्ञान है। लेकिन सवाल इस बात का उठता है कि क्या इन प्रभारियों के पास इस पद की योग्यता है। बिना योग्यता वाले लोगों को पद पर बैठाकर मंदिर के आवश्यक कार्य संपादित किए जा रहे हैं। आगे आने वाले दिनों में स्मार्ट सिटी योजना के तहत मंदिर का विस्तारीकरण होगा। ऐसे में बिना योग्यता वाले कई प्रभारी इसके लिए अनफिट साबित होंगे।

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