पुजारी ने रात 9.30 बजे आरती करने के बाद पट बंद कर दिए
उज्जैन, अग्निपथ। चंद्रग्रहण के चलते रविवार को कई सालों में ज्योतिर्लिंग महाकाल की शयन आरती तय समय से 1 घंटे पहले की गई। आरती के बाद पुजारी ने गर्भगृह के पट बंद कर भगवान को शयन कराया। जबकि प्रतिदिन महाकाल की शयन आरती रात 10.30 बजे शुरू होती है तथा आरती के बाद रात 11 बजे पट बंद किए जाते हैं। लेकिन रात 9.58 बजे से चंद्रग्रहण लगने के कारण ऐसा करना पड़ा।
वैसे ग्रहण का सूतक तो दोपहर में 12.58 बजे ही लग गया था। लेकिन महाकाल मंदिर में सूतक मानने की परंपरा नहीं है। इसलिए मंदिर में दिनभर आम दर्शन चालू रहे व सुबह, दोपहर व शाम की आरती-पूजा भी नियमित रूप से ही की गई।
मंदिर का अन्नक्षेत्र बंद रहा, शुद्धिकरण बाद खुलेगा
चंद्रग्रहण का सूतक लगने के कारण महाकाल मंदिर समिति का निशुल्क अन्नक्षेत्र रविवार को दिनभर बंद रहा। सोमवार की सुबह यहां शुद्धिकरण के बाद भोजन बनेगा और भगवान महाकाल को भोग लगने के बाद सुबह 11 बजे से आम श्रद्धालुओं की भोजन प्रसादी शुरू होगी।
मंगलनाथ में भातपूजा रोकना पड़ी, गोपाल मंदिर के पट बंद
महाकाल की शयन आरती 1 घंटे पहले करने के अलावा चंद्रग्रहण के सूतक के चलते उज्जैन के प्रसिद्ध मंगलनाथ मंदिर में सुबह 11 बजे तक ही श्रद्धालुओं को भातपूजा की अनुमति दी गई थी। इसके बाद रोकना पड़ी। मंदिर प्रशासक केके पाठक ने बताया सूतककाल में गर्भगृह में किसी को भी प्रवेश नहीं दिया गया। बाहर से दर्शन चालू रखे गए। शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर में सूतक काल में देवी का स्पर्श नहीं किया गया।
पुजारी राजू गिरि गोस्वामी ने बताया चंद्र ग्रहण के बाद सोमवार सुबह 5 बजे मंदिर धोकर शुद्धिकरण कर शृंगार किया जाएगा। उज्जैन के सांदीपनि आश्रम में तथा द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में सूतक काल में मंदिर के पट बंद रखे गए। सोमवार को शुद्धिकरण के बाद आम दर्शन शुरू किए जाएंगे।
आज कोटितीर्थ के जल से शुद्धिकरण के बाद भस्मारती
ग्रहण का मोक्ष चूंकि मध्य रात में 1.26 बजे हुआ। इसलिए 8 सितम्बर की अल सुबह भगवान महाकाल की भस्मारती से पहले पुजारियों ने मंदिर के गर्भगृह व नंदीहॉल को कोटितीर्थ कुंड के पवित्र जल से धोकर शुद्ध किया। इसके बाद भस्मारती हुई।
