महाकाल धर्मशाला के 10 कर्मचारी बैठे-बैठे ले रहे मुफ्त की तनख्वाह

सावन से पूर्व से ही कोई काम नहीं, अन्य जगहों पर किया जा सकता पदस्थ

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर विस्तारीकरण योजना के तहत सावन से पूर्व महाकाल धर्मशाला के तोडऩे का कार्य शुरू कर दिया गया था। लेकिन आधे से ज्यादा धर्मशाला को तोड़ा जा चुका है। बावजूद इसके अभी तक वहां पर 10 कर्मचारियों को तैनात कर रखा है। ऐसे में 10 कर्मचारी आराम से बैठकर अपना वेतन प्राप्त कर रहे हैं। वहीं महाकाल धर्मशाला के गादी तकियों को चूहे अपना निशाना बना रहे हैं और अन्य सामान को भी मटियामेट कर रहे हैं।

श्री महाकालेश्वर मंदिर में स्मार्ट सिटी योजना के अंतर्गत महाकाल धर्मशाला को हरी फाटक ओवर ब्रिज के पास बनाया जाना प्रस्तावित है। जिसके चलते वहां पर निर्माण कार्य भी शुरू कर दिया गया है। इसके साथ मंदिर में बनी महाकाल धर्मशाला को तोडऩे का कार्य सावन पूर्व से निर्माण एजेंसी उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा शुरू कर दिया गया था। लेकिन अभी तक यहां पर कार्यरत कर्मचारी जस के तस बने हुए हैं। यहां पर लगभग 10 कर्मचारी कार्यरत हैं। जिनका काम महाकाल धर्मशाला की व्यवस्थाओं को मैनेज करना है। लेकिन श्रद्धालुओं का यहां पर ठहरना काफी समय से प्रतिबंधित कर दिया गया है। लेकिन केवल वीआईपी कक्ष को छोड़कर बाकी अन्य सभी कक्षं को तोड़ दिया गया है। जिसके चलते अब यहां पर कार्यरत 10 कर्मचारियों की इतनी आवश्यकता नहीं है जो कि पहले थी। यहां के कर्मचारियों को अन्यत्र पदस्थ कर काम लेना चाहिए। ताकि यहां की व्यवस्था और चुस्त-दुरुस्त की जा सकें।

हालांकि मंदिर प्रशासन ने अभी इस पर संज्ञान नहीं लिया है। लेकिन बेकार बैठे हुए कर्मचारियों द्वारा प्रति माह का वेतन लेना कहीं ना कहीं मंदिर की व्यवस्थाओं पर प्रश्नचिन्ह चस्पा करता है कि अधिकारियों ने इस और देना क्यों गंवारा नहीं किया।

सावन निकले समय हुआ
महाकाल धर्मशाला को तोडऩे का कार्य निर्माण एजेंसी उज्जैन विकास प्राधिकरण द्वारा सावन पूर्व से कर दिया गया था। पहले पहल यहां की भोजनशाला को तोड़ा गया था। उसके बाद महाकाल धर्मशाला को तोडऩा शुरू कर दिया गया था। लेकिन मंदिर प्रशासन ने कर्मचारियों को जस का तस छोड़ रखा है। इनके पास कोई भी काम नहीं होने के कारण अक्सर सभी बैठकर प्रति माह का वेतन प्राप्त कर रहे हैं। इन कर्मचारियों का अन्यत्र पदस्थ कर मंदिर की व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त की जा सकती हैं।

चूहे काट रहे गादी-तकियों को
तीन माह से अधिक समय हो गया जब मंदिर को तोडऩे का काम शुरू कर दिया गया था। यहां के अधिकांश कमरों के पंखे, गादी-तकिए और अन्य सामान सहित एसी आदि को उपर और नीचे के एक-एक कमरे में अलग रख दिया गया था। लेकिन चूहे मंदिर के गादी तकियों को अपना निशाना बना रहे हैं और उनको फाड़ कर खराब कर रहे है।ं लेकिन इनके खात्मे के लिए अभी तक कोई भी व्यवस्था मंदिर प्रशासन की ओर से नहीं की गई है। जिसके चलते हरी फाटक ब्रिज के पास बनने वाली नई धर्मशाला के लिए फिर से गादी तकियों की व्यवस्था करना पड़ेगी।

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