सभा मंडप में आज तक तखत भी नहीं रखे, पदनाम स्वीकृत नहीं
उज्जैन अग्निपथ। महाकाल मंदिर के सभी काउंटरों पर अभिषेक-पूजन कराने के लिए काटी जाने वाली रसीद के कट्टे ही नहीं रखे जा रहे हैं। इससे आम श्रद्धालुओं को भी अभिषेक हेतु इस रसीद के बारे में जानकारी नहीं मिल पाती है और श्रद्धालु परेशान हो रहे हैं। मंदिर के 22 पुरोहित इस अव्यवस्था के चलते मंदिर प्रशासन से नाराज है।
मंदिर के सभी काउंटरों पर अभिषेक-पूजन के रसीद कट्टे रखने की मांग पुरोहितों द्वारा लंबे समय से की जा रही है। पहले अभिषेक काउंटर होते थे तो श्रद्धालु पढक़र वहां से रसीद कटा लेते थे। अब उन काउंटरों के नाम भेंट काउंटर रख दिए गए।
वहीं पुरोहितों के मंदिर के सभामंडप में पुराने तखत भी वापस नहीं रखे गए जबकि पूर्व में हुए निर्माण के चलते सभामंडप में रखे लकड़ी तखतों को समिति ने यह कहकर हटाया था कि निर्माण पूरा होने के तुरंत बाद इन्हें यथा स्थान पर रख दिए जाएंगे। लेकिन आज तक ये तखत दूसरी जगह पर ही रखे हुए है। इन तखतों पर बैठकर पुरोहित अपना कार्य संपन्न करते हैं।
फिलहाल पुरोहितों को सभामंडप में खड़े ही रहकर अपना कार्य करना पड़ रहा है। साथ ही पुरोहितों ने मंदिर समिति से यह भी मांग की थी कि उन्हें पदनाम से संबोधित किया जाएं। इसे लेकर भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
पुरोहित समिति के अध्यक्ष व सचिव ने कहा हमारी मांगें नहीं मानी जा रही
महाकाल मंदिर पुरोहित समिति के अध्यक्ष पंडित लोकेंद्र व्यास, सचिव पंडित दीपक शर्मा सहित समस्त पुरोहितों ने मीडिया से चर्चा में कहा कि महाकाल मंदिर एक शैव मंदिर है जहां 16 पुजारी के अलावा 22 पुरोहित भी कार्यरत है जिन्हें धर्मस्व पुजारी भी कहते है। वे पिछले काफी समय से प्रशासन के समक्ष मांग रखते आ रहे हैं कि समिति द्वारा मंदिर के सभी काउंटरों पर अभिषेक-पूजन के रसीद कट्टे रखे ताकि श्रद्धालुओं को इसकी अधिक से अधिक जानकारी मिले और वे अभिषेक हेतु रसीद कटवाए।
क्योंकि काउंटरों पर रसीद कट्टे नहीं होने से वह परेशान होते है। उनके तखत भी आज तक सभामंडप में नहीं रखे गए। मंदिर एक्ट व उप विधि के अनुसार उनका पद नाम होना चाहिए। वह भी आज तक स्वीकृत नहीं किया गया है। यदि जल्द ही उनकी मांगे नहीं मानी गई तो प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कर उनके समक्ष मांगें रखी जाएगी।
