रोशनी से जगमग हुआ शिखर, सुबह रूप चौदस तो शाम को दीप पर्व, कोटितीर्थ कुंड पर लगेंगे हजारों दीप
उज्जैन, अग्निपथ। ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में आज सोमवार को तडक़े 4 बजे भस्मारती में भगवान को अन्नकूट लगाकर पुजारी गर्भगृह में फुलझड़ी जलाकर परंपरा अनुसार सबसे पहले दीपावली मनाएंगे। सुबह रूपचौदस मनेगी तो शाम को दीप पर्व का उल्लास छाएगा। मंदिर परिसर में स्थित कोटितीर्थ कुंड के किनारे हजारों दीप प्रज्वलित किए जाएंगे। रंग-बिरंगी रोशनी से महाकाल के मुख्य शिखर सहित सभी मंदिरों के शिखर व प्रांगण जगमगा उठे हैं।
उज्जैन में परंपरा है कि कोई भी त्योहार सबसे पहले राजाधिराज भगवान महाकाल के आंगन में मनता है इसके बाद नगरवासी मनाते हैं। इसलिए सबसे पहले भगवान के साथ सुबह दीपावली होगी इसके बाद शाम को पूरे शहर में दीपावली की धूम मचेगी। मां लक्ष्मी का मुहूर्त में पूजन किया जाएगा।
भस्मारती के पुजारी ओम गुरु, राघव गुरु, राजेश पुजारी, आकाश पुजारी परिवार के द्वारा भगवान महाकाल को रूपचौदस के अवसर पर अभ्यंग स्नान कराकर अन्नकूट का भोग लगाया जाएगा। इसके बाद फुलझड़ी जलाकर दीपावली मनाई जाएगी।
रूपचौदस से भगवान महाकाल का गर्म जल स्नान भी प्रारंभ होगा
परंपरा अनुसार रूपचौदस पर्व से भगवान महाकाल का गर्म जल से स्नान भी प्रारंभ हो जाएगा। पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान को उबटन लगाने पहुंचेंगी। सुगंधित द्रव्यों से बना उबटन लगाकर बाबा का रूप निखारा जाता है। इसके बाद विशेष कर्पूर आरती होती है, जो केवल महिलाएं ही संपन्न करती हैं। केसर, चंदन, इत्र, खस और सफेद तिल से यह उबटन तैयार होता है। वहीं अन्नकूट में धान, खाजा, शक्करपारे, गूंजे, पापड़ी, मिठाई सहित कई प्रकार के व्यंजन रखे जाते हैं।
दिवाली पर थाईलैंड, मलेशिया से आए फूलों से सजा महाकाल का दरबार
दिवाली पर भगवान महाकाल के दरबार में देश-विदेश के फूलों से विशेष सजावट की गई। मंदिर के पुजारियों ने बताया कि इसके लिए थाईलैंड, मलेशिया आदि देशों से भी फूल आए है। भारत के बेंगलुरु, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई के भी फूल लगे हैं। सजावट में एंथोरियम, लिली, कॉर्निशन, सेवंती और डेजी जैसे फूलों का उपयोग किया गया।
