कोर्ट ने कहा- याचिकाकर्ता जमीन का मालिक नहीं, अधिग्रहण को चुनौती देने का हक नहीं
नई दिल्ली/उज्जैन। उज्जैन में बाबा महाकाल के भक्तों के लिए बड़ी खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने महाकाल लोक फेज-२ परियोजना के विस्तार पर अपनी अंतिम मुहर लगा दी है। शीर्ष अदालत ने महाकाल लोक परिसर के पार्किंग क्षेत्र विस्तार के लिए किए गए भूमि अधिग्रहण को चुनौती देने वाली ‘तकीया मस्जिद’ की याचिका को खारिज करते हुए साफ कर दिया है कि अब इस भव्य प्रोजेक्ट के काम में कोई कानूनी अड़चन नहीं रहेगी।
यह याचिका मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के 11 जनवरी के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई थी, जिस पर जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने सवाल किया कि अधिग्रहण की कार्यवाही के बजाय फैसले को क्यों चुनौती दी गई है।
कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता जमीन के मालिक नहीं हैं इसलिए उन्हें अधिग्रहण की कार्यवाही पर सवाल उठाने का हक नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहण की अधिसूचनाओं को चुनौती नहीं दी गई, शिकायतें फैसले के खिलाफ की गई हैं, जबकि वैकल्पित वैधानिक समाधान मौजूद था।
गुरुवार को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील हुफैजा अहमदी ने कहा कि भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू करने से पहले सामाजिक प्रभाव आकलन के अनिवार्य प्रावधान का इस मामले में पालन नहीं किया गया। बेंच ने उनकी दलील पर सख्त लहजे में कहा कि वे केवल एक उपासक हैं, भूमि के स्वामी नहीं। अदालत ने माना कि चूंकि याचिकाकर्ता रिकॉर्ड में जमीन का टाइटल होल्डर नहीं है, इसलिए उसे अधिग्रहण की प्रक्रिया को अवैध बताने का कोई कानूनी अधिकार (लोकस स्टैंडी) नहीं है।
अदालत के फैसले की मुख्य बातें
अधिग्रहण पर मुहर: कोर्ट ने माना कि अधिग्रहण की अधिसूचना को सीधे तौर पर चुनौती नहीं दी गई थी, आपत्ति सिर्फ मुआवजे को लेकर थी।
कानूनी विकल्प: पीठ ने कहा कि अगर मुआवजे को लेकर कोई विवाद है, तो उसके लिए कानून के तहत अन्य वैधानिक रास्ते खुले हैं, लेकिन इससे प्रोजेक्ट नहीं रुकेगा।
हाईकोर्ट का फैसला बरकरार: सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को सही ठहराया जिसमें कहा गया था कि गैर-मालिकों को अधिग्रहण प्रक्रिया रोकने का हक नहीं है।
क्या था विवाद?
याचिकाकर्ता की ओर से दलील दी गई थी कि यह भूमि 1985 से वक्फ बोर्ड में दर्ज है और इसका अधिग्रहण बिना ‘सामाजिक प्रभाव आकलन’्र के किया गया है, जो 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून का उल्लंघन है। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया कि जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है और मुआवजा भी तय कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट पहले भी मस्जिद के ध्वस्त करने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर चुका है।
जनवरी में हटाया था मस्जिद को
करीब 200 साल पहले स्थापित तकिया मस्जिद को जनवरी में संबंधित भूमि के अधिग्रहण के बाद हटा दिया गया था। अधिकारियों ने महाकाल लोक परिसर के पार्किंग स्थल का विस्तार करने के लिए भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही शुरू की थी।
अब और भव्य होगा महाकाल लोक
इस फैसले के साथ ही तकीया मस्जिद भूमि अधिग्रहण से जुड़ा सालों पुराना विवाद अब पूरी तरह समाप्त हो गया है। राज्य सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत महाकाल मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों का बड़े पैमाने पर कायाकल्प किया जा रहा है ।
जिससे उज्जैन में पर्यटन और श्रद्धालुओं की सुविधाओं में भारी इजाफा होगा।
