देवासगेट बस स्टैंड-रेलवे स्टेशन के बाहर से नहीं हटा अतिक्रमण और गंदगी
उज्जैन, अग्निपथ। देवासगेट बस स्टैंड से लेकर रेलवे स्टेशन तक कुकुरमुत्तों की तरह फैला अतिक्रमण महापौर के निर्देश के बाद भी जस का तस बना हुआ है। वहीं देवासगेट बस स्टैंड पर भी गंदगी उसी तरह से फैली हुई है, जिस तरह से निरीक्षण के पहले फैली रहती थी। ऐसे में वहां के मेट पर निर्देश के बाद भी कार्रवाई नहीं होना अधिकारियों की लापरवाही को दर्शा रहा है। मंगलवार को भी महापौर के निरीक्षण के दौरान सिद्धवट पर पहले से ही सूचना मिलने पर सफाई पाई गई।
महापौर मुकेश टटवाल ने पिछले दिनों साइकिल पर देवासगेट बस स्टैंड से लेकर रेलवे स्टेशन तक निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान वहां पर केवल दो सफाईकर्मी ही सफाई करते पाये गये थे। मेट अंकित झांझोट से जब इस संबंध में पूछा गया तो इसका जवाब उपायुक्त संजेश गुप्ता देने लगे। जिस पर महापौर ने जमकर नाराजगी जताई थी।
इसके बाद उन्होंने मेट झांझोट को निलंबित करने की अनुशंसा की थी। लेकिन इतने दिन गुजर जाने ेके बाद भी स्थिति जस की तस है। अपनी गलती देखकर मेट झांझोट ने देवासगेट बस स्टैंड को 8 से 10 सफाई मित्रों के साथ मिलकर वाशिंग पावडर से जमकर सफाई कर चकाचक कर दिया था। लेकिन अब वहां पर फिर से गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ है।
यहां तक कि देवासगेट बस स्टैंड से लेकर रेलवे स्टेशन तक गुमटियों का मेला लगा हुआ है। पिछले निरीक्षण के दौरान महापौर ने अधिकारी से यहां का अतिक्रमण हटाने को कहा था, लेकिन अभी तक नगरनिगम के जिम्मेदार इनको नहीं हटा पाये हैं। बताया जाता है कि इन अतिक्रमण कर्ताओं को नगरनिगम के कर्मचारियों का वरदहस्त है।
पहले से ही हो गई थी सफाई
महापौर ने मंगलवार को सिद्धवट घाट का भी निरीक्षण किया। महापौर के आने की सूचना पहले से ही लीक हो गई और यहां पर घाटों की सफाई उनको मिली। यहां पर भी महापौर ने सिद्धवट मंदिर के मुख्य द्वार के बाहर अव्यवस्थित पार्किंग सुधारने, ठेले, गुमटियों जैसे अस्थाई अतिक्रमण को मंदिर क्षेत्र के बाहर ही रखे जाने के निर्देश दिये।
कर्मकांड करने वाले पंडितों द्वारा महापौर को अवगत करवाया गया कि नागरिकों की सुविधा के लिए खुले क्षेत्र में शेड लगवाया जाए ताकि बारिश, गर्मी से बचाव हो सके। मंदिर में स्थित लंबे समय से बंद भोजनशाला को खुलवाए जाने हेतु एसडीएम लक्ष्मी नारायण गर्ग से दूरभाष पर चर्चा करते हुए ताला खुलवाए जाने की बात कही गई।
निगम आयुक्त या अपर आयुक्त नहीं रहते साथ
महापौर द्वारा किये जा रहे निरीक्षण के दौरान न तो उनके साथ निगम आयुक्त रहते हैं और न ही अपर आयुक्त, ऐसे में वह इससे निचले स्तर के अधिकारी को निर्देश देते हैं। जो उनकी बात सुनी अनसुनी कर देते हैं। देवासगेट बस स्टैंड, सिद्धवट, गयाकोठा, उंडासा हो या साहिबखेड़ी के निरीक्षण के दौरान उनके साथ निगम के वरिष्ठ अधिकारी साथ नहीं होने के कारण उनके निर्देशों को अनसुना कर दिया जाता है।
