शाजापुर, अग्निपथ। शहर में आवारा कुत्तों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। नगर पालिका द्वारा श्वानों के नियंत्रण और नसबंदी अभियान पर हर साल लाखों रुपये फूंके जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट है। शहर की गलियों में कुत्तों के बढ़ते झुंड अब राहगीरों और मासूम बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। ताजा मामला वार्ड क्रमांक-8 का है, जहां एक आवारा कुत्ते ने घर जा रही मासूम बालिका पर हमला करने का प्रयास किया। गनीमत रही कि समय रहते शोर मच गया और बच्ची बाल-बाल बच गई, वरना कोई बड़ी अनहोनी हो सकती थी।
दहशत में वार्डवासी, घरों से निकलना हुआ दूभर
वार्ड क्रमांक-8 सहित शहर के कई इलाकों में स्थिति भयावह होती जा रही है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि शाम ढलते ही सड़कों पर आवारा कुत्तों का जमावड़ा लग जाता है। ये कुत्ते न केवल राहगीरों के पीछे दौड़ते हैं, बल्कि दोपहिया वाहन चालकों के लिए भी गंभीर दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। वार्डवासियों ने आक्रोश जताते हुए कहा कि नगर पालिका को बार-बार सूचित करने के बाद भी इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है।
कहां जा रहा है जनता का पैसा?
हैरानी की बात यह है कि नगर पालिका प्रशासन आवारा कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के नाम पर भारी-भरकम बजट खर्च करने का दावा करता है। कागजों पर नसबंदी और उन्हें पकड़ने के अभियान चलाए जाने की बात कही जाती है, लेकिन शहर के हर कोने में बढ़ती इनकी तादाद इन दावों की पोल खोल रही है। जनता अब प्रशासन से सवाल पूछ रही है कि आखिर लाखों रुपये खर्च होने के बाद भी सड़कों पर मासूमों की सुरक्षा सुनिश्चित क्यों नहीं हो पा रही है?
