विदेशी बहू का देशी टशन-फ्रांसीसी बहू का प्रकृति प्रेम मांडू टूरिज्म को देगा गति

दो हजार स्केवेर फीट में बना प्राकृतिक भवन।

धार, धीरेंद्र सिंह तोमर । लगभग 8 साल पहले सात समंदर पार से मध्यप्रदेश के मांडव में ब्याही फ्रांस की विलायती बहुरानी अब पर्यटक स्थल मांडव में भी फ्रांस दिखाने की कोशिश में लगी है। दरअसल फ्रांस में ज्यादातर मकान प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल करके बनाए जाते हैं, जिससे वे हर मौसम के माकूल होते हैं। मतलब इन मकानों में ठंड में ठंड का और गर्मी में तपती धूप का असर कम होता है। इसी तकनीक का इस्तेमाल करके धार में ब्याही फ्रांस की मारी चौधरी अपने सपनों का आशियाना बना रही है। प्राकृतिक संसाधनों से बने इस मकान का काम लगभग 90 फ़ीसदी पूरा हो चुका है, जिससे पर्यटन नगरी मांडव के इस मकान में फ्रांस की झलक नजर आने लगी है। इस मकान में ना तो सीमेंट का इस्तेमाल हुआ है और ना ही रेत आदि का। मारी के पति और नेशनल गाइड धीरज चौधरी के अनुसार दो हजार स्क्वायर फीट के प्लाट पर बनने वाले इस प्राकृतिक मकान का आने वाले दिनों में पर्यटक भी लाभ ले सकेंगे।

प्रकृति प्रेमियों की प्रेरणा बन रहा है मकान
पर्यटक नगरी माण्डू में यू तो कई पुराने महलों को आज भी देखा जाता है पर आज जो संस्कृति और पर्यावरण प्रेमियों की चाह रहती वैसे मकान का मिलना मुश्किल हो चुका है। आधुनिकता के साथ मकान बनाने के लिए भी सीमेंट कैमिकलों का उपयोग कर रहे है जो की हमारे पर्यावरण के साथ ही हमारी सेहत के अनुकूल नही है जो हजारो ऐसी बीमारियो को जन्म दे रही है। ऐसै ही माण्डू पर्यटन नगरी में लुप्त हो रही ऐसी तकनीक का मकान पर्यावरण प्रेमी माण्डू के धीरज चौधरी और उनकी पत्नी मारी चौधरी बना रहे है। मकान की खासियत यह है कि पुराने जमाने की तकनीक और पूर्णतः मिट्टी और चुने से बन रहा है।

 

 

 

न तो एसी जरूरत होगी न ही हीटर की

 

कैसे बदले माण्डू की तस्वीर तो आया आईडिया -मारी जब से माण्डू में आकर बसी है उसने हर जगह यह पर सीमेंट कंक्रीट के मकानों को बनते देखा तभी धीरज और मारी ने फैसला लिया कि हम माण्डू में अपना आशियाना प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर बनाएंगे। जिससे न तो पर्यावरण को न ही प्रकति को नुकसान पहुचेगा। इसके लिए दोनों ने फ्रांस में छुट्टियों में जाकर कई नैचरल बिल्डिंग प्रोजेक्ट विजिट किये ओर तकनीको को समझा। फिर भारत आकर यहां आर्किटेक्ट सत्येंद्र भगत ओर अनन्त नारायण ने इस सपने को साकार करने में शामिल हुए पिछले 2 साल से अपने मकान को पूरा करने में लगे धीरज और मारी जिसे देखने के लिए आसपास व अन्य प्रदेशों के पर्यटक भी आते है। इन्हें खुशी है कि हमारे मकान को देखकर लोग प्रेरित होंगे और इस प्रकार से अपने मकान को बनाकर पर्यावरण और प्रकृति की सुरक्षा करेंगे।

 

इन प्राकृतिक संसाधनों से बन रहे मकान
अपने प्रोजेक्ट के आसपास ही से लाल मिट्टी और काली मिट्टी का सेम्पल लेकर मिट्टी का परीक्षण कर के उसे दीवारों ओर प्लास्टर करवा कर भूसा ओर चुरी मिलाकर उसे उपयोग लिया। वही जहा पर पानी का उपयोग ज्यादा उस जगह पर टाइलों ओर पत्थर की जगह बाथरूम ओर अन्य हिस्सों में चुने का जापानी प्लास्टर किया जिसे टेडलेक्ट कहते है। जो पूरी तरह वाटरप्रूफ होता है। अधिकतम लाल मिट्टी को गूंध कर बनाई गई दीवार जिसे कोब वाल कहा जाता है। वही मकान में लगी लकड़िया भी पुरानी इमारतों से निकली लकड़ियों से दरवाजे खिड़की ओर चोखट का निर्माण करवाया है। खिड़की दरवाजो को सुरक्षित रखने के लिए काजू शेल का तेल और अलसी के तेल को मिलाकर लगाया गया जिससे सालो साल लकड़ियों दीमक ओर किट लगने से बचाये रखेगा। दीवारों के साथ साथ छत में भी लकड़ियों का उपयोग कर प्राकृतिक संसाधन को छत में भरके उस पर देशी कवेलू ( नलिये ) रखेंगे जिससे घर मे दीवारों के साथ साथ छत भी ठंडक बनाए रखेगी।

नही होगा टी.वी और ए. सी.

बदलते जमाने के साथ मानसिक शांति और शारीरिक बीमारियो को जन्म देने वाली टी. वी.ओर ए. सी. दोनों इस मकान की डिक्शनरी से बाहर है। मारी का मानना है कि प्रकृति के द्वारा दी गयी हवा शरीर को शक्ति प्रदान करती है। और ज्यादा टीवी देखने से मानसिक सन्तुलन ठीक नही होता इसलिए धीरज ओर मारी ने इन दोनों उपकरणों के लिए घर मे कोई व्यवस्था नही दी।

लोगो को अपनी ओर खींच रहा यह घर
माण्डू के सुंदर से एक कोने में यह मकान अपने अंतिम स्वरूप में है।परंतु लोगो की उत्सुकता उन्हें वहां खिंच ले जाती है। कई सारे लोग उसे देखने प्रतिदिन वहाँ पहुचते है। जिन्हें यह देखकर अचंबित हो जाते है कि मिट्टी से कैसे 2 मंजिला बंगला बन सकता है।लेकिन कई ऐसे लोग ओर वीआईपी जो इस मकान को देखकर अपने खुद के आशियाने इस प्रकार से बनाने के सपने देखकर अपने आर्चिटेक्ट लेकर इस मकान को विजिट कर रहे है।

 

इंदौर संभाग में पहला होगा ऐसा मकान

आसपास के क्षेत्र में ऐसा पहला मकान है जो बिजली पानी किचन फर्नीचर सर्वसुविधायुक्त होगा। 1500 सो वर्ग फ़ीट पर बन रहे इस मकान में एक हाल,अमेरिकन किचन,4 बैडरूम बालकनी,ओपन थियेटर, के साथ मकान के बीचों बीच एक छोटा सा गार्डन जिसमे दो बड़े पेड़ो को सँजोकर रखा गया है। लुप्त हो रही पौराणिक संस्कृति को बनाए रखने
धीरज चौधरी ने बताया कि लुप्त होते जा रही संस्कृति को वापस से बनाए रखने के लिए आईडिया आया था वही एमपी टूरिज्म भी इस मकान से प्रभावित होकर ट्राइबल टूरिज्म के लिए इस प्रकार के मकानों के योजना ला रही है जो होमस्टे के रूप में उपयोग में आएंगे।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

 

ऐसे प्रयासों को हम एप्रिशिएट करते है साथ ही
जिला प्रशासन भी व्यापक पैमाने पर मांडू प्रमोशन के लिए जुटा है। जल्द ही इस तरह की योजना क्षेत्र में प्रभावी होगी।
आलोक कुमार सिंह, कलेक्टर, धार

यह मारी का काफी सराहनीय प्रयास है। हम आपसी सहमति से अपने आगे के प्रोग्राम में इस मकान को मॉडल और पर्यटकों के रुकने के रूप में उपयोग कर सकते हैं।

प्रवीण शर्मा, प्रभारी अधिकारी
जिला पुरातत्व एवं पर्यटन परिषद

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