शराबी माँ मासूम बच्चों को बस स्टैंड पर लावारिस छोड़ गई

उज्जैन, अग्निपथ। देवासगेट थाना क्षेत्र में सोमवार की सुबह एक बेहद भावुक कर देने वाली घटना सामने आई। एक शराबी माँ नशे की हालत में अपने दो मासूम बच्चों (3 और 5 वर्ष) को बस स्टैंड पर छोड़कर चली गई। सर्द सुबह में दोनों बच्चे ठंड से कंपकपाते हुए लावारिस हालत में मिले। सूचना मिलने पर पुलिस ने तत्काल बच्चों को सुरक्षित थाने पहुँचाया और उनकी देखभाल की।

मासूमों को गर्म कपड़े पहनाए, भोजन कराया

थाना प्रभारी अनिला कैथवास ने बताया कि सुबह 7:45 बजे देवासगेट पर 3 से 5 वर्ष के दो मासूम बच्चे ठंड से कंपकपाते और लावारिस हालत में खड़े मिले थे।

  • पुलिस टीम तत्काल बच्चों को थाने लेकर आई।

  • यहाँ उन्हें गर्म कपड़े पहनाए गए और चाय, नाश्ता, भोजन कराया गया।

  • इसके बाद पुलिस ने उनके माता-पिता की तलाश शुरू की।

शाम को मिली माँ, शराब के नशे में थी

शाम 4 बजे बच्चों की माँ मिल गई, लेकिन वह शराब के नशे में धुत थी। वह इंदौर के छत्रीपुरा क्षेत्र की रहने वाली है और शराब की आदी है। जानकारी के अनुसार, वह भिक्षावृत्ति करके जीवन यापन करती है और मासूम बच्चों से भी भीख मंगवाती है। पुलिस को संदेह है कि नशे और इस तरह के जीवन के चलते उसका दिमागी संतुलन भी ठीक नहीं है।

पुलिस पशोपेश में: बच्चों का सुरक्षित भविष्य कैसे हो?

अब पुलिस इस असमंजस में है कि ऐसी शराबी माँ को बच्चों की जिम्मेदारी कैसे सौंपी जाए, जो उनकी देखभाल करने के लायक नहीं है।

  • टीआई अनिला कैथवास ने कहा कि यह स्पष्ट है कि यदि इन बच्चों को उनकी माँ के सुपुर्द किया जाता है तो उनका भविष्य निश्चित रूप से सुरक्षित नहीं होगा।

  • माँ शराब की आदी होने के साथ-साथ भिक्षावृत्ति करती है, जिससे बच्चों का भविष्य खतरे में है।

पुलिस अब बच्चों के सुरक्षित भविष्य के लिए किसी सामाजिक संस्था को उनकी जिम्मेदारी सौंपना चाहती है, लेकिन अब तक कोई संस्था आगे नहीं आई है। पुलिस ने सेवाधाम आश्रम और मातृछाया जैसी संस्थाओं से भी संपर्क किया, लेकिन दोनों जगह की अपनी सीमाएं और नियम हैं।

आज एसडीएम कोर्ट में पेशी

पुलिस पशोपेश की इस स्थिति में आज बच्चों और उनकी माँ को एसडीएम कोर्ट में पेश करेगी, ताकि न्यायालय के माध्यम से बच्चों के सुरक्षित पालन-पोषण और भविष्य को लेकर कोई निर्णय लिया जा सके।

टीआई अनिला कैथवास ने शहर की सामाजिक संस्थाओं से भावुक अपील की है कि कोई संस्था आगे बढ़कर इन मासूम बच्चों के भविष्य को सुधारने और उनके पालन-पोषण की जिम्मेदारी ले।

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