नलखेड़ा, अग्निपथ। नलखेड़ा में, शिक्षा विभाग द्वारा शुरू की गई ई-अटेंडेंस प्रणाली शिक्षकों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में खराब नेटवर्क की वजह से शिक्षक अपनी ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज नहीं कर पा रहे हैं, जिससे उन्हें अनुपस्थित माना जा रहा है। एक चौंकाने वाला मामला माध्यमिक विद्यालय सिया में सामने आया, जहाँ एक शिक्षक को नेटवर्क खोजने के लिए स्कूल की पानी की टंकी पर भी चढ़ना पड़ा, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
खराब नेटवर्क और अनुपस्थिति का डर
लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल ने सभी शिक्षकों के लिए ई-अटेंडेंस ऐप पर रोज़ाना उपस्थिति दर्ज करना अनिवार्य किया है। हालाँकि, ज़मीनी स्तर पर इसकी राह में कई बड़ी चुनौतियाँ हैं। ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या इतनी गंभीर है कि शिक्षक समय पर स्कूल पहुँचने के बावजूद अपनी उपस्थिति ऑनलाइन दर्ज नहीं कर पा रहे हैं। इस कारण उन्हें बेवजह अनुपस्थित मान लिया जा रहा है, जिससे न केवल उनका मनोबल गिर रहा है, बल्कि विभाग की नई व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं।
साइबर ठगी और मानसिक तनाव
ई-अटेंडेंस ऐप सिर्फ नेटवर्क की समस्या ही नहीं, बल्कि साइबर सुरक्षा का खतरा भी लेकर आया है। कई शिक्षकों ने शिकायत की है कि ऐप इंस्टॉल करने के बाद उनके मोबाइल में संदिग्ध गतिविधियाँ होने लगी हैं। कुछ मामलों में तो शिक्षकों के बैंक खातों से भी पैसे निकाल लिए गए हैं। इस वजह से शिक्षक मानसिक तनाव में हैं और लगातार डर के साए में जी रहे हैं। विभाग इस तरह के किसी भी आर्थिक नुकसान की जिम्मेदारी लेने से साफ इनकार कर रहा है।
शिक्षकों की माँग: सुरक्षित और वैकल्पिक व्यवस्था
इन गंभीर समस्याओं को देखते हुए, शिक्षकों ने विभाग से ठोस कदम उठाने की माँग की है। वे चाहते हैं कि या तो सभी स्कूलों में इंटरनेट नेटवर्क की सुविधा बेहतर की जाए या फिर ई-अटेंडेंस की जगह पारंपरिक रजिस्टर या सुरक्षित बायोमेट्रिक प्रणाली को लागू किया जाए। उनका कहना है कि अगर ऑनलाइन उपस्थिति अनिवार्य है, तो विभाग को ऐप को साइबर-सुरक्षित बनाना चाहिए और किसी भी तरह के वित्तीय नुकसान की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
