परिजन सहित सहकर्मी बिलख पड़े… एडीजी और एसपी ने दिया अर्थी को कांधा
उज्जैन, अग्निपथ । चार दिन से शिप्रा की गहराइयों में फंसी उन्हेल थाने में पदस्थ महिला कांस्टेबल आरती पाल का शव मंगलवार शाम 4.30 बजे घटना स्थल पर बड़े पुल से करीब 70 मीटर दूरी पर गड्ढे में फंसी कार में मिला। बुधवार सुबह कांस्टेबल को पुलिस ने गार्ड ऑफ ऑनर अर्थात राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी। जिसके बाद परिजनों ने अंतिम संस्कार किया।
टीआई विवेक कनौडिया ने बताया कि शव मिलने के तत्काल बाद मर्ग कायम कर शव का पोस्टमार्टम मंगलवार शाम ही करवा दिया गया था। बुधवार सुबह आरती का शव तिरुपति सैफरॉन कॉलोनी स्थित उनके घर ले जाया गया। जहां से परिजन और पुलिस परिवार ने नम आंखों से विदाई दी। शिप्रा तट स्थित चक्रतीर्थ श्मशान घाट पर दाह संस्कार किया गया। भाई लोकेंद्र ने मुखाग्नि दी।।
परिवार के साथ आरती साथ काम कर चुकी पुलिस अधिकारी और पुलिसकर्मी भी भावुक होकर रो पड़े। चक्रतीर्थ पर बेहद गमगीन माहौल था। अंतिम यात्रा में एडीजी उमेश जोगा, डी आई जी नवनीत भसीन, कलेक्टर रोशन सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा, नगर निगम आयुक्त अभिलाष मिश्रा और सभी थाना प्रभारी मौजूद रहे। माता पिता को पुलिस परिवार ने ढांढस बंधाया और सांत्वना दी।
माता पिता पर डेढ़ महीने में दूसरा वज्रपात
आरती पाल के माता-पिता और परिवार पर डेढ़ महीने में ही दूसरा बड़ा वज्रपात हो गया है। 30 जुलाई को ही आरती के भाई जितेंद्र पाल की बीमारी के चलते मौत हो गई थी। पिता रतलाम कलेक्ट्रेट से सेवानिवृत्त शासकीय सेवक हैं। वे 2014 में रिटायर हुए थे। 72 वर्ष उम्र हो गई है। पिता बताते हैं कि पूरे खानदान में एक मात्र बेटी थी। काका बाबा के 15 भाइयों में एक ही बहन थी। वो सबकी लाडली थी।
