सुबह 4 बजे बाद से श्रद्धालुओं की लंबी लाइन, शिप्रा के रामघाट पर भी रही भीड़
उज्जैन, अग्निपथ। श्राद्ध की चतुर्दशी पर शनिवार को धार्मिक नगरी उज्जैन में भैरवगढ़ स्थित सिद्धवट पर दूध चढ़ाने के लिए श्रद्धालु उमड़े तो अंकपात पर गयाकोठा में पितरों की आत्मशांति के लिए तर्पण पूजन कराने के लिए हजारों श्रद्धालु उमड़े। शिप्रा के रामघाट पर भी सुबह से पिंडदान आदि पूजन के लिए भीड़ लगी रही।
अंकपात स्थित गया कोठा का धार्मिक महत्व है। कहते है कि बिहार के गया तीर्थ के समान उज्जैन में यह गया कोठा तीर्थ है जहां श्राद्ध पक्ष में श्रद्धालु पितरों की आत्मशांति के लिए तर्पण करने पहुंचते हैं। चतुर्दशी पर तो इसका खास महत्व होता है। गया कोठा तीर्थ में भगवान विष्णु और सप्त ऋषि के चरण स्थित हैं। यहां भी श्रद्धालुओं ने दूध अर्पित कर पितृ कर्म संपन्न किया। इसलिए यहां अल सुबह से ही लोग पहुंचने लगे। वहीं सिद्धवट पर भी दूध चढ़ाने के लिए सुबह 4 बजे के बाद से श्रद्धालुओं की कतार लगनी शुरू हो गई थी।
4 बजे पट खोले, पुजारियों ने सबसे पहले चढ़ाया दूध
मंदिर के पुजारियों ने प्रात: 4 बजे भगवान के पट खोले व सबसे पहले उन्होंने पूर्वजों की आत्मशांति, जनकल्याण की कामना से पूजन कर दूध चढ़ाया। पुजारी सुधीर चतुर्वेदी, सुरेंद्र चतुर्वेदी ने बताया कि श्रद्धालुओं ने निर्धारित पात्र में दूध अर्पित कर भगवान सिद्धवट का दिनभर दूध से अभिषेक किया।दूध अर्पित करने के लिए श्रद्धालुओं को दो घंटे तक प्रतीक्षा करनी पड़ी। इसके साथ ही हजारों लोगों ने अपने पूर्वजों की आत्मशांति के लिए तर्पण और पिंडदान भी किए।
सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्यग्रहण लगेगा पर यहां नहीं
रविवार को सर्वपितृ अमावस्या के साथ ही श्राद्ध पक्ष समाप्त हो जाएगा। इसके अगले दिन से नवरात्रि पर्व शुरू होगा। अमावस्या पर लोग शिप्रा में स्नान कर दान-पुण्य करेंगे। सर्वपितृ अमावस्या को सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। लेकिन यह भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसकी यहां मान्यता भी नहीं रहेगी।
घाटों पर पंडितों से पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण पूजन आदि कराएंगे। श्राद्ध पक्ष में वैसे तो लोग प्रतिदिन अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के अनुसार घर में धूप-ध्यान कर, ब्राह्मण भोजन कराकर उनका श्राद्ध करते हैं। लेकिन कई लोग ऐसे है जिनकों अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती। इसलिए वे लोग श्राद्ध की अमावस्या पर पूर्वजों के निमित्त पूजन आदि कर श्राद्ध कर सकते हैं। इसलिए इस अमावस्या को सर्वपितृ अमावस्या कहा गया है। इस दिन सारे पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है। लोग शिप्रा के रामघाट, सिद्धवट व गया कोठा तीर्थ में पूजन के लिए उमड़ेंगे।
