7 सितंबर से शुरू हो जाएंगे श्राद्ध, उज्जैन में है पिंडदान-तर्पण का खास महत्व
उज्जैन, अग्निपथ। इस बार 7 सितंबर को श्राद्ध के पहले दिन ही चंद्रग्रहण लग रहा है। लेकिन श्रद्धालु इससे घबराए नहीं है। इस दिन पूर्णिमा तिथि का श्राद्ध दोपहर 12.50 बजे तक किया जा सकेगा। इसके बाद ही ग्रहण का सूतक आरंभ होगा। उज्जैन में शिप्रा के किनारे रामघाट, सिद्धवट एवं गयाकोठा तीर्थ में पितरों की आत्मशांति के लिए पिंडदान व तर्पण करने का बड़ा महत्व है। इसलिए देशभर से श्राद्ध पक्ष के दौरान हजारों श्रद्धालु यहां पर उमड़ते हैं।
उज्जैन के तीर्थ पुरोहित एवं ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि इस बार महालया श्राद्ध का आरंभ 7 सितंबर को रविवार के दिन से हो रहा है। इस दिन पूर्णिमा तिथि के साथ कुंभ राशि का चंद्रमा, शततारका नक्षत्र और सुकर्मा योग का विशेष संयोग भी बन रहा है जो कि सभी के लिए शुभफल देने वाला है।
7 सितंबर को रात्रि में चंद्रग्रहण लगेगा, जिसका सूतक दोपहर में 12.58 बजे से शुरू हो जाएगा। इसलिए श्रद्धालु इसके पहले यानी 12.50 बजे तक श्राद्ध पूर्ण कर लें। उज्जैन में देशभर से श्रद्धालु रामघाट, सिद्धवट और गयाकोठा तीर्थ में पंडितों से पितरों के निमित्त पूजन व धूप-ध्यान कर ब्राह्मण भोज कराते हैं।
एक तिथि का क्षय होने से इस बार 15 दिन के श्राद्ध
इस बार एक तिथि का क्षय होने से श्राद्ध 16 की जगह 15 दिन के ही रहेंगे। पंचांग गणना के अनुसार कुछ जगह सप्तमी तो कुछ नवमी तिथि का क्षय बताया गया है। इसलिए श्राद्ध पक्ष में एक तिथि घटने से 15 दिन ही श्राद्ध पक्ष चलेगा। शास्त्रों के अनुसार जिस तिथि की पुष्टि मध्यकाल या कुतुप काल में हो, उसी तिथि पर श्राद्ध करना उचित होगा।
महाकाल अन्नक्षेत्र पर चंद्रग्रहण का असर, 7 सितंबर को बंद रहेगा
सूतक में नहीं बनता खाना

महाकाल मंदिर के निशुल्क अन्नक्षेत्र में भी चंद्रग्रहण का असर होगा। 7 सितंबर को अन्नक्षेत्र को दिनभर बंद रखा जाएगा। क्योंकि ग्रहण का सूतक दोपहर में 12.58 बजे से शुरू होगा। चूंकि सूतक में भोजन नहीं बनाया जा सकता है। इसलिए इसे मंदिर प्रबंध समिति ने बंद रखने का ही निर्णय लिया है।
समिति के इस अन्नक्षेत्र में रोजाना सुबह से रात तक 5 हजार श्रद्धालु निशुल्क भोजन प्रसाद ग्रहण करते हैं। मंदिर समिति के अधिकारियों ने बताया कि चंद्रग्रहण तो रात 9:58 बजे से शुरू होगा। लेकिन इसका सूतक काल दोपहर में प्रारंभ होने से इसे चालू रखना धर्म-शास्त्र सम्मत नहीं होगा। इसलिए इसे बंद रखने का निर्णय लिया गया है।
रोजाना अन्नक्षेत्र दोपहर 12 बजे से रात 8 बजे तक खुला रहता है। इस संबंध में समिति ने अन्नक्षेत्र के बाहर सूचना भी लगा दी है ताकि श्रद्धालु परेशान न हो। चंद्रग्रहण के बाद 8 सितंबर को शुद्धिकरण के बाद अन्नक्षेत्र को नियमित रूप से चालू कर दिया जाएगा।
मंदिर काउंटर से मिलता है भोजन का कूपन, आधुनिक मशीनें लगी
मंदिर समिति का यह अन्नक्षेत्र महाकाल लोक में स्थित है जो कि दो मंजिला बना है। इसमें लिफ्ट भी लगी है। यह काफी हाइटेक है। यहां भोजन प्रसादी बनाने के लिए मशीनें लगी है। यहां प्रसादी लेने के लिए श्रद्धालुओं को मंदिर के अंदर बने काउंटर से कूपन लेना होता है जो कि निशुल्क ही मिलता है। कूपन बताने के बाद ही अन्नक्षेत्र में प्रवेश मिलता है। श्रद्धालुओं को यहां आरामदायक टेबल पर बैठकर भोजन प्रसादी ग्रहण कराई जाती है।
