नागदंश का अनोखा मामला: युवक साँप को लेकर अस्पताल पहुंचा, बहादुरी ने बचाई जान

युवक साँप को लेकर अस्पताल पहुंचा

उज्जैन, अग्निपथ।  यह घटना किसी फिल्म के दृश्य से कम नहीं थी। जहाँ आमतौर पर लोग साँप का नाम सुनकर ही घबरा जाते हैं, वहीं उज्जैन के एक युवक ने अद्भुत साहस का परिचय दिया। देवासगेट क्षेत्र में बुधवार रात एक युवक को उसकी चलती कार में साँप ने डस लिया। लेकिन, इस बहादुर युवक ने घबराने के बजाय, उस साँप को पकड़ लिया और उसे अपने साथ लेकर सीधे अस्पताल पहुँच गया। इस अविश्वसनीय घटना ने न सिर्फ डॉक्टरों को हैरान कर दिया, बल्कि यह बात पूरे शहर में चर्चा का विषय बन गई।

क्या हुआ उस रात?

यह हैरान कर देने वाली घटना बुधवार रात करीब नौ बजे की है। शास्त्री नगर के रहने वाले 34 वर्षीय सागर पिता अशोक चौधरी किसी काम से देवासगेट क्षेत्र गए हुए थे। उन्होंने अपनी कार अन्नपूर्णा मंदिर के पास खड़ी की। जब वह अपना काम निपटाकर वापस लौटे और कार में बैठे, तभी एक अप्रत्याशित घटना घटी। डैशबोर्ड पर, ठीक स्टीयरिंग के सामने बैठा एक साँप अचानक से बाहर आया और सागर को डस लिया।

एक पल के लिए तो सागर भी चौंक गए, लेकिन उन्होंने तुरंत अपनी सूझबूझ और हिम्मत का इस्तेमाल किया। जहाँ कोई और होता तो शायद डर के मारे भाग खड़ा होता, वहीं सागर ने साँप को मजबूती से पकड़ लिया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि साँप उनसे छूटकर कहीं भाग न जाए। इसके बाद, वह उसी साँप को अपने साथ लेकर सीधे जिला अस्पताल के चरक भवन पहुँचे।

अस्पताल में हड़कंप, डॉक्टरों ने की तारीफ

जब सागर अस्पताल पहुँचे और उन्होंने डॉक्टर को बताया कि उन्हें साँप ने डस लिया है और वह उसको अपने साथ लाए हैं, तो पहले तो किसी को यकीन ही नहीं हुआ। लेकिन जब उन्होंने अपनी पकड़ में रखा साँप दिखाया, तो अस्पताल स्टाफ में हड़कंप मच गया। डॉक्टरों ने तुरंत सागर का इलाज शुरू किया और साँप को सुरक्षित तरीके से एक डिब्बे में रखा।

अस्पताल में मौजूद डॉक्टरों ने बताया कि यह अपनी तरह का पहला मामला है, जब कोई पीड़ित खुद साँप को पकड़कर इलाज के लिए साथ लाया हो। डॉक्टरों ने सागर की बहादुरी और तत्परता की बहुत प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि सागर की इस समझदारी ने ही उनकी जान बचाई, क्योंकि डॉक्टर यह सुनिश्चित कर पाए कि साँप जहरीला था या नहीं।

क्या था आगे का इलाज?

सागर का इलाज तुरंत शुरू किया गया। शुरुआती जांच और प्राथमिक उपचार के बाद, डॉक्टरों ने बताया कि अब उनकी स्थिति खतरे से बाहर है। साँप को देखने और उसके व्यवहार का अध्ययन करने के बाद, सर्प विशेषज्ञों की टीम को भी बुलाया गया। विशेषज्ञों ने जाँच के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि साँप जहरीला नहीं था। इस खबर ने सागर और उनके परिवार को राहत की साँस दी।

बाद में, सर्प विशेषज्ञों की टीम ने उस साँप को सुरक्षित रूप से पकड़कर एक जंगली क्षेत्र में छोड़ दिया। सागर ने न सिर्फ अपनी जान बचाई, बल्कि उस साँप की जान भी बच गई, जो शायद लोगों के डर का शिकार हो जाता। यह घटना बताती है कि सूझबूझ, हिम्मत और तत्परता किसी भी बड़ी मुसीबत से बचा सकती है। सागर की इस अनोखी बहादुरी की कहानी अब उज्जैन में हर किसी की जुबान पर है।

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