सावन में बस 4 दिन; महाकाल मंदिर परिसर में अधूरा निर्माण

सावन में बस 4 दिन; महाकाल मंदिर परिसर में अधूरा निर्माण

उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर परिसर में पिछले दो महीने से पत्थर लगाने का काम चल रहा है। दावा किया गया था कि सावन शुरू होने से पहले यह काम पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन अब सावन में बस 4 दिन बचे हैं और वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा लगता नहीं कि काम समय पर खत्म हो पाएगा। इससे श्रद्धालुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

मई की शुरुआत में मंदिर समिति ने परिसर के पत्थरों को बदलने का काम शुरू किया था। शुरुआत में बताया गया था कि ड्रेनेज लाइन और अन्य जरूरी सुधारों के कारण ऐसा किया जा रहा है, लेकिन बाद में पूरे परिसर के ही पत्थर बदल दिए गए। अब स्थिति यह है कि पूरे मंदिर परिसर में हर तरफ काम चल रहा है, यहां तक कि भगवान महाकाल की सवारी के मार्ग पर भी निर्माण कार्य जारी है।

10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है और 11 जुलाई से श्रावण मास शुरू हो जाएगा। हालांकि, अभी से ही श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ने लगी है और भगवान महाकाल की पहली सवारी 14 जुलाई को निकलेगी। काम की धीमी गति को देखते हुए सावन से पहले इसके पूरा होने की संभावना कम ही लगती है।

बैठक में दिए गए निर्देश, लेकिन काम की गति धीमी।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के उप प्रशासक एसएन सोनी ने बताया कि शनिवार को सावन की व्यवस्थाओं को लेकर हुई बैठक में कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने निर्माण कार्य समय पर पूरा करने के निर्देश दिए हैं। इसमें महाकाल मंदिर परिसर के निर्माण कार्य और सवारी मार्ग के अधूरे कामों को सावन से पहले पूरा करने का निर्देश दिया गया है।

चिकने पत्थर बन सकते हैं दुर्घटना का कारण, विशेषज्ञ चिंतित।

मंदिर परिसर में लगाए जा रहे नए मार्बल पत्थर दुर्घटना का कारण भी बन सकते हैं। ये पत्थर चिकने हैं और फिसलने का खतरा पैदा करेंगे। हालांकि, दो पत्थरों के बीच एक ऐसा पत्थर लगाया गया है जो फिसलने से रोकेगा, लेकिन जानकारों के मुताबिक, सार्वजनिक और भीड़भाड़ वाली जगहों पर यह तकनीक सफल नहीं होती। मंदिर से जुड़े लोगों का कहना है कि पहले लगे हुए लाल पत्थर भी अच्छे थे और सावन में बस 4 दिन बचे होने से उन्हें फिलहाल बदलने की कोई जरूरत नहीं थी।

सावन में बस 4 दिन इस अधूरे निर्माण कार्य और संभावित फिसलन वाले पत्थरों से सावन के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा और सुविधा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। क्या मंदिर प्रशासन इन चुनौतियों से निपटने के लिए कोई ठोस कदम उठाएगा?

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