सिंहस्थ में घाट बनाने के लिये शिप्रा के पाट को किया छोटा

भैरवगढ़ पुल के नीचे मिट्टी से नदी में की भराई

उज्जैन, अग्निपथ। एक ओर जहां शिप्रा को लोग कल कल कर बहता देखना चाहते हैं, वहीं सिंहस्थ में स्नान के लिये घाट बनाने के चक्कर में अधिकारियों ने शिप्रा के पाट को ही छोटा कर दिया। मिट्टी भराई कर शिप्रा की चौड़ाई को कम करने का प्रयास किया गया है।

भैरवगढ़ पुल के नीचे स्थित शिप्रा के किनारे बेहिसाब मिट्टी का भराव किया गया है, जिसके चलते शिप्रा नदी की चौड़ाई यहां पर कम कर दी गई है। करीब 100 फीट इस पीली मिट्टी का भराव घाट बनाने के लिये किया गया है। इसके पीछे हरे पेड़ों की एक लंबी श्रंृखला बनी हुई है। घाट बनाने के चक्कर में यह भी नहीं सोचा गया कि शिप्रा नदी की चौड़ाई यहां पर कम हो जायेगी।

हालांकि पुल के दूसरे ओर शिप्रा के किनारे से ही घाट बनाने का काम भी शुरु किया गया है। जोकि सही तरीके से किया जा रहा है। पुल से गुजरने वाले नागरिक यह देखकर अचंभित हो रहे हैं कि ऐसा क्यों किया जा रहा है। वैसे भी शिप्रा नदी की चौड़ाई काफी कम होती जा रही है, ऐसे में इस तरह का एजेंसी द्वारा घाट बनाने को लेकर किया गया प्रयोग उज्जैन के लोगों के गले नहीं उतर रहा है।

864 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी

सिंहस्थ 2028 के लिए उज्जैन में शिप्रा नदी के किनारे 29 किलोमीटर से अधिक लंबे घाट बनाए जाएंगे। इन घाटों का निर्माण कार्य शुरू हो गया है, जिसमें 864 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी और 29 बैराज भी बनाए जाएंगे। इन परियोजनाओं का उद्देश्य आगामी सिंहस्थ को एक भव्य और यादगार आयोजन बनाना है।

घाटों के बारे में मुख्य बातें

  • लंबाई: शिप्रा नदी के किनारे लगभग 29 किलोमीटर लंबे घाट बनाए जाएंगे।
  • लागत: इस परियोजना पर 864 करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी।
  • बैराज: नदी में निरंतर प्रवाह और जल प्रदूषण को रोकने के लिए 29 बैराज भी बनाए जाएंगे।
  • उद्देश्य: इन विकास कार्यों का मुख्य उद्देश्य सिंहस्थ 2028 को एक भव्य आयोजन बनाना और श्रद्धालुओं की सुविधा को बढ़ाना है।
  • अन्य विकास कार्य: इस परियोजना के अलावा, शहर के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के लिए अन्य विकास कार्य भी किए जा रहे हैं, जैसे हाईटेक सडक़ों का निर्माण।

इनका कहना

इस तरह से मिट्टी डालकर शिप्रा का पाट छोटा किया जाना उचित नहीं है। घाट बनाने के लिये पानी को रोकना चाहिये। गारे की थैली से किनारा सुरक्षित कर घाट बनाये जाना चाहिएं। पेड़ काटने की जगह इनके आसपास जगह छोडऩा चाहिये।
– पं. सुरेन्द्र चतुर्वेदी, सिंहस्थ-2016 घाट समिति सदस्य

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