अभी 150 एमएलडी पानी रोज सप्लाई होता है शहर में, इसमें 90 प्रतिशत सप्लाई गंभीर डैम से
उज्जैन, अग्निपथ। साल 2028 में उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ के लिए जलापूर्ति बढ़ाकर 400 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) की जाएगी। इस बार सिंहस्थ में 25 से 30 करोड़ तक श्रद्धालु उज्जैन आ सकते हैं। उज्जैन शहर में लगभग 250 एमएलडी अतिरिक्त जलापूर्ति की योजना शुरू होगी। इस पर 950 करोड़ रुपए खर्च होंगे। राजधानी से तकनीकी सहमति मिल चुकी है। जल्द ही इसका प्रस्ताव कैबिनेट में सहमति के लिए आ सकता है।
14 मीटर व्यास के दो इन्टेक वेल बनेंगे। पहला गंभीर डैम पर 70 एमएलडी पानी स्टोर करेगा। दूसरा एनवीडीए पाइपलाइन के पास बनेगा, जिसमें 100 एमएलडी पानी स्टोर होगा। इन इन्टेक वेल से पानी जल शोधन प्लांट में भेजा जाएगा। 5 नए जलशोधन प्लांट बनेंगे, जिससे कुल क्षमता 250 एमएलडी हो जाएगी। 38 हजार किलोलीटर स्टोरेज क्षमता वाले 17 नए ओवरहेड रिजर्वायर बनेंगे।
40 किमी कच्चे पानी के लिए और 136 किमी शोधित जल के लिए पाइपलाइन बिछेगी। 534 किमी का डिस्ट्रीब्यूशन नेटवर्क स्थापित होगा। 49 हजार नए घरों को सप्लाई से जोड़ा जाएगा। इसी के तहत 200 किमी के पुराने हो चुके नेटवर्क को भी बदला जाएगा। कुल 15 किमी क्षेत्र में नए टैंक भी बनेंगे। अभी गंभीर डैम के अलावा छूटे बड़े बोरवेल, कुओं, नर्मदा की कुछ नहरों, उंडासा तालाब आदि से जलापूर्ति होती है।
कैबिनेट से सहमति मिलते ही वर्क ऑर्डर जारी होगा और दो साल में प्रोजेक्ट पूरा होगा
उज्जैन शहर में फिलवक्त 150 एमएलडी पानी रोज सप्लाई होता है। इसमें से लगभग 90′ सप्लाई गंभीर डैम से होता है। यह सप्लाई लगभग 35 साल पहले शुरू की हुई थी जब शहर की जनसंख्या लगभग 3 लाख थी। अब जनसंख्या 7 लाख हो चुकी है। इस साल इस जलापूर्ति योजना को सिंहस्थ से जुड़े कामों के साथ योजना स्वीकृत हो चुकी है। विभागीय स्तर पर टेंडर भी फाइनल हो चुका है।
स्काडा से होगी नेटवर्क की सेंट्रलाइज्ड मॉनिटरिंग
जब जलापूर्ति का सिस्टम बनकर तैयार हो जाएगा, तब राजधानी से पूरे नेटवर्क की स्काडा सिस्टम से रोजाना सेंट्रलाइज्ड मॉनिटरिंग होगी। इस आधुनिक सिस्टम से लीक का तुरंत पता चल जाएगा। पानी की बर्बादी रोकी जा सकेगी। पानी के फ्लो की भी रोजाना जानकारी मिलती रहेगी। ऑटोमेटेड सिस्टम से टैंक भरते ही पानी बंद हो जाएगा। मॉनिटरिंग में सप्लाई हो रहे पानी की गुणवत्ता भी चेक हो सकेगी। पानी के उपयोग की रोजाना रिपोर्ट भी मिल सकेगी। निर्माण एजेंसी ही 10 साल तक पूरे सिस्टम का संचालन और संधारण करेगी।
