सीहोर, अग्निपथ: पांच साल से खराब फसल की बीमा राशि के लिए तरस रहे किसानों का गुस्सा अब फूट पड़ा है। पिछले 11 दिनों से भोपाल, सीहोर और शाजापुर जिलों के गांवों में किसान अलग-अलग तरीकों से अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। कहीं खेतों में धरना, कहीं जल सत्याग्रह, तो कहीं पेड़ों पर चढ़कर घंटी बजाकर सरकार को जगाने की कोशिश! लेकिन सरकार के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही।
बुधवार को किसानों का आक्रोश चरम पर पहुंच गया। समाजसेवी एमएस मेवाड़ा के नेतृत्व में परेशान किसानों ने पानी की टंकी पर चढ़कर, हाथों में खराब सोयाबीन की फसल और थाली लिए, घंटी बजाकर अपना गुस्सा जताया। यह अनोखा प्रदर्शन सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की एक हताश कोशिश थी।
किसानों का कहना है, “हम 11 दिन से धरना दे रहे हैं, जल सत्याग्रह कर रहे हैं, पेड़ों पर घंटी बजा रहे हैं, कलेक्टर से लेकर तहसीलदार तक को ज्ञापन सौंप चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।”
किसानों की मांग साफ है – पांच साल से अटकी बीमा राशि अब दी जाए। जब जमीन से उनकी आवाज नहीं सुनी गई, तो मजबूरन वे आसमान की ओर बढ़े। पानी की टंकी पर चढ़कर थाली और घंटी बजाते हुए किसानों ने कहा, “अब शायद सरकार के कानों तक हमारी पुकार पहुंचे।” यह आंदोलन अब हर दिन नए रंग और नए गांवों में फैल रहा है, लेकिन सवाल वही है – क्या सरकार इन किसानों की आवाज सुनेगी?
