सुसनेर, अग्निपथ। नगर परिषद सुसनेर की अध्यक्ष लक्ष्मी सिसोदिया पर पद से हटने की तलवार लटक गई है। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने उन्हें गंभीर वित्तीय अनियमितताओं के मामले में कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यदि वह 15 दिनों के भीतर संतोषजनक जवाब प्रस्तुत नहीं करती हैं, तो मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 41-क के तहत उन्हें पद से हटाया जा सकता है।
उप सचिव प्रमोद कुमार शुक्ला द्वारा जारी इस नोटिस में कहा गया है कि अध्यक्ष अपने कर्तव्यों का विधि अनुसार पालन करने में विफल रही हैं और पदीय कार्यों के निर्वहन में सक्षम नहीं हैं। शासन की राय में निकाय और लोकहित को देखते हुए उनका पद पर बने रहना उचित नहीं है।
दो मामलों में पाई गईं वित्तीय गड़बड़ियाँ:
लोकायुक्त कार्यालय में दर्ज शिकायत (जांच प्रकरण क्रमांक 0035 /ई/ 2024) की जांच में अध्यक्ष को दो प्रमुख मामलों में वित्तीय अनियमितता का दोषी पाया गया है:
- ई-रिक्शा खरीद में बड़ा नुकसान (आरोप 01):
- स्वच्छ भारत मिशन के तहत 5 ई-रिक्शा (कचरा वाहन) 30 लाख की लागत से ख़रीदे गए।
- जांच में पाया गया कि अध्यक्ष ने अपनी अधिकार सीमा का उल्लंघन किया।
- नियमों के अनुसार 30 दिन के बजाय बोली आमंत्रण का समय केवल 10 दिन रखा गया और दैनिक समाचार पत्र में भी विज्ञापन नहीं दिया गया।
- बाज़ार मूल्य 1,57,142 प्रति नग वाले ई-रिक्शा को 4,81,200 प्रति नग की अत्यधिक दर पर ख़रीदा गया।
- इस ख़रीद से परिषद को कुल 16,20,285 की भारी आर्थिक हानि हुई। इसके लिए अध्यक्ष और सीएमओ को उत्तरदायी माना गया है।
- कचरा गाड़ियों की खरीद (आरोप 02):
- 40 नग हाथ कचरा गाड़ी और 4 नग टायर वाली कचरा गाड़ी ख़रीदी गई।
- इसमें भी अध्यक्ष द्वारा अपनी अधिकार सीमा से परे जाकर स्वीकृति दी गई और मध्यप्रदेश नगर पालिका (वित्त एवं लेखा) नियम 2018 का पालन नहीं किया गया। इसके लिए भी अध्यक्ष व सीएमओ को उत्तरदायी पाया गया है।
राजनैतिक उठापटक के बीच फंसी अध्यक्ष
ज्ञात हो कि अध्यक्ष श्रीमती लक्ष्मी सिसोदिया पहले भाजपा से निर्वाचित थीं। परिषद में भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद ब्लॉक कांग्रेस महामंत्री दीपक राठौर और पार्षदों ने लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई थी। हाल ही में, भाजपा की अंदरूनी खींचतान और अविश्वास प्रस्ताव की अटकलों के बीच, अध्यक्ष लक्ष्मी सिसोदिया ने परिवार सहित दल बदलकर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। अब कांग्रेस नेताओं के वार से घायल हुईं और कांग्रेस में शामिल हुईं अध्यक्ष के पद से हटने की संभावनाएँ बढ़ गई हैं, जिससे कांग्रेस स्वयं अपने चक्रव्यूह में उलझती नज़र आ रही है।
