पोलायकला (शाजापुर), अग्निपथ। कृषि विभाग और सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के सिर्फ बड़े-बड़े दावे करते हैं, लेकिन ज़मीनी हक़ीकत कुछ और ही है। अल्पवर्षा और सोयाबीन में पीला मोजेक रोग के कारण फसल बर्बाद हो रही है, जिससे किसान कर्ज में डूबते जा रहे हैं।
पोलायकला, मोरटा केवड़ी, खाटसुर, देवली, चिराट्या, खड़ी उमरसिंगी और आसपास के किसान प्रकृति की मार के साथ-साथ इस रोग से भी पीड़ित हैं। किसानों ने सरकार से शीघ्र फसल का सर्वे कराकर मुआवजा देने की मांग की है, ताकि वे अगली फसल की तैयारी कर सकें। मंगलवार को संवाददाता ने कई गाँवों का दौरा कर ग्राउंड रिपोर्ट तैयार की, जहाँ किसानों ने अपनी दुर्दशा बताई।
किसान तोलाराम, जगदीश दांगी, विष्णुप्रसाद दांगी, संतोष दांगी, सूरजसिंह दांगी, कमल दांगी, मोडसिंह गोयल, सुभाष पाटीदार और राजेंद्र सक्सेना ने बताया कि लगातार तीन वर्षों से किसान प्राकृतिक आपदा झेल रहे हैं। पहले प्याज और लहसुन के सही दाम नहीं मिले, अब सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई है।
सोयाबीन में पीला मोजेक रोग से खराब फसलों का सर्वे कराए
फसल बीमा के नाम पर भी किसानों के साथ छल हुआ है। विभिन्न संगठनों के माध्यम से पिछले एक महीने से सरकार से गुहार लगाई जा रही है कि पीले मोजेक से खराब हुई फसलों का सर्वे कराया जाए, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। किसानों का कहना है कि पूरे पौधे में केवल दो-चार फलियाँ ही बची हैं और बाकी पूरा पौधा अफलन हो चुका है। फसल कटाई का खर्च भी नहीं निकल पाएगा।
किसानों ने बताया कि दिन-ब-दिन फसलों की लागत बढ़ती जा रही है और उनकी आमदनी घटती जा रही है। सरकार केवल टोल-फ्री नंबर देकर पल्ला झाड़ रही है। किसान टकटकी लगाकर सरकार की तरफ देख रहे हैं। अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो वे आत्महत्या करने को मजबूर हो जाएंगे।
प्रमुख बिंदु
- सोयाबीन की फसल में पीले मोजेक रोग से भारी नुकसान।
- किसान अल्पवर्षा और रोग की दोहरी मार झेल रहे हैं।
- किसानों की आय दोगुनी करने के सरकारी दावे ज़मीन पर खोखले साबित हो रहे हैं।
- कई गाँवों (पोलायकला, मोरटा केवड़ी, खाटसुर, देवली, चिराट्या, खड़ी उमरसिंगी आदि) के किसान प्रभावित हैं।
- किसानों ने सरकार से तत्काल सर्वे और मुआवजे की मांग की है।
- किसानों का कहना है कि लागत भी नहीं निकल पा रही है।
- यदि समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो किसान आत्महत्या करने को मजबूर हो सकते हैं।
