150 मीटर जमीन न मिलने के कारण अटकी 204 किमी लंबी रेल लाइन

धार, अग्निपथ। इंदौर-दाहोद नई रेल लाइन प्रोजेक्ट को तेजी से पूरा किया जा रहा है। लेकिन 150 मीटर जमीन ने मिलने के कारण 204 किमी लंबी इस रेल परियोजना पर संकट छाने लगा है। दरअसल सागौर-गुनावद रेलखंड के बीच एकलदुना गांव में एक किसान के खेत से रेल लाइन गुजरना है। यहां रेलवे को 150 मीटर जमीन की जरूरत है, लेकिन किसान अब तक तैयार नहीं हुआ है। जबकि रेलवे भूमि अधिग्रहण के लिए सीधी क्रय नीति के तहत यह जमीन खरीदने को तैयार है। इधर जमीन नहीं मिलने से इस 150 मीटर के हिस्से में अब तक रेल लाइन नहीं डल पाई है।

इस परियोजना में रेलवे अगस्त तक ट्रेन चलाने की तैयारी कर रहा है। रेल लाइन, स्टेशन, ब्रिज, टनल आदि का काम तेजी से किया जा रहा है। सागौर से गुनावद के बीच रेललाइन बिछाई जा चुकी है। लेकिन इस रेलखंड के एकलदुना गांव में 150 मीटर हिस्से को रेलवे अब तक नहीं ले पाया है। जिसके इस हिस्से में अब तक रेल लाइन नहीं डली है।

दरअसल यह जमीन एकलदुना गांव के विक्रम सिंह लाड की है। रेल अफसर लंबे समय से किसान के संपर्क में है और जमीन अधिग्रहण करने को लेकर चर्चा भी चल रही है। लेकिन हर बार किसान द्वारा विरोध का दिया जाता है। जबकि रेल अफसर इस जमीन के लिए रेलवे सीधी क्रय नीति के तहत किसान से जमीन की रजिस्ट्री करने के लिए तैयार है। ताकि इस छोटे से टुकड़े पर भी रेल लाइन बिछाकर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाया जा सके। रेल अफसरों के अनुसार किसान से बातचीत अंतिम दौर है। सकारात्मक परिणाम मिलने की उम्मीद है।

तुरंत होती है रजिस्ट्री

रेल अफसरों के अनुसार परियोजना शुरू करने से पहले जमीन अधिग्रहण किया जाता है। इसके लिए 2013 के भू अर्जन एक्ट के तहत स्थानीय प्रशासन के राजस्व विभाग द्वारा नोटिस जारी किया जाता है। इसके बाद अनापत्ति होने पर रेलवे तय जमीन के लिए प्रशासन के माध्यम से किसानों को मुआवजा देते है।

इस प्रक्रिया में रजिस्ट्री की जरूरत नहीं होती है। लेकिन इस प्रक्रिया में अधिक समय लगता है। वहीं जमीन के छोटे हिस्से के लिए सीधी क्रय नीति अपनाई जाती है। जिसमें रेलवे सीधे किसान से जमीन की रजिस्ट्री कराकर उसके खाते में भुगतान करती है। इस मामले में भी सीधी क्रय नीति से ही जमीन लेने की तैयारी है।

सरकार के काम में सरकार को ही अनुमति नहीं

वही इंदौर-दाहोद रेल लाइन का काम धार जिले के सरदारपुर क्षेत्र में खरमोर पक्षी अभयारण्य के कारण भी रुका हुआ है। सरकार के काम में सरकार को ही अनुमति नहीं मिल रही है। केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की आपत्ति के कारण यहां काम शुरू नहीं किया जा सका है। सरदारपुर से झाबुआ के बीच भी स्वीकृति नहीं मिल पाई है।

सेंचुरी के कारण सरदारपुर के पास से रेललाइन को बायपास करने की योजना बनाई है। इस पर अभी काम शुरू नहीं किया है। यहां 14 गांवों की 35 हजार हेक्टेयर भूमि पर खरीदी-बिक्री पर रोक लगी थी। अब यह रोक हटेगी। स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार ने केंद्र को भेजा था। केंद्र से मंजूरी मिलते ही अधिसूचना जारी होगी।

प्रोजेक्ट एक नजर में

  • 2008 में प्रोजेक्ट स्वीकृत
  • 2013 में शुरू हुआ काम
  • 204 किलोमीटर लंबी रेल लाइन
  • 21 किलोमीटर तक का काम पूरा इंदौर से टीही के बीच
  • 16 किलोमीटर तक काम पूरा दाहोद से कठवाड़ा के बीच
  • 331 पुल, जिसमें 41 बड़े और 290 छोटे
  • 32 छोटे-बड़े कुल रेलवे स्टेशन रहेंगे
  • 2027 तक प्रोजेक्ट पूरा करने का लक्ष्य

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