18 महीने बाद परंपरागत मार्ग से निकलेगी महाकाल सवारी 

कोरोना संक्रमण के चलते छोटे मार्ग से निकाली जा रही थी अभी तक

उज्जैन। भगवान महाकाल की कार्तिक- अगहन माह की तीसरी सवारी 18 महीने में पहली बार सोमवार (22 नवंबर) को अपने परंपरागत मार्ग से निकाली जाएगी। कोरोना संक्रमण के दौरान अभी तक छोटे मार्ग से ही भगवान महाकाल की सवारी निकाली जा रही थी। लेकिन राज्य शासन की कोरोना समाप्ति की घोषणा के बाद कलेक्टर ने आदेश निकाल कर सवारी को परंपरागत मार्ग से निकाले जाने के निर्देश दिए।

सोमवार शाम 4 बजे महाकाल मंदिर के सभामंडप में भगवान महाकाल के चंद्रमौलेश्वर स्वरूप का विधिवत पूजन-अर्चन किया जाएगा। पूजन उपरांत भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर रजत पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकलेंगे। पालकी को मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान को सलामी दी जाएगी।

गोपाल मंदिर होकर आएगी

मंदि प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि कोविड-19 संबंधी सारे प्रतिबंध समाप्त किये जाने की घोषणा के बाद अब सवारी परंपरानुसार एवं पूर्ण गरिमामय तरीके से निकाली जाएगी। सवारी महाकालेश्वर मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंचेगी।

वहां शिप्रा के जल से भगवान चंद्रमौलेश्वर का अभिषेक उपरांत सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा होते हुए पुन: महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेगी।

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