विक्रम विश्वविद्यालय का ऐतिहासिक कदम: अब दस्तावेजों में दर्ज होगा विक्रम पंचांग का ब्यौरा!

 

उज्जैन, अग्निपथ।

उज्जैन का विक्रम विश्वविद्यालय एक ऐतिहासिक पहल करने जा रहा है। यह विश्वविद्यालय अब अपने आधिकारिक दस्तावेजों में विक्रम पंचांग की तिथि, माह और वार को लिखित रूप में शामिल करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय बन जाएगा। यह निर्णय शिक्षा, संस्कृति और भारतीय ज्ञान परंपरा के प्रति विश्वविद्यालय की गहरी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह कदम छात्रों को न केवल आधुनिक ज्ञान से जोड़ेगा, बल्कि उन्हें अपनी समृद्ध सांस्कृतिक जड़ों से भी परिचित कराएगा।


 

नई शिक्षा नीति पर राष्ट्रीय कार्यशाला: मंथन और सुधार की तैयारी

 

सितंबर माह में उज्जैन में “शिक्षा, व्यक्तित्व और चरित्र निर्माण” विषयों पर एक तीन दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन होने जा रहा है। यह कार्यशाला शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास और विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जाएगी। इस महत्वपूर्ण आयोजन का मुख्य उद्देश्य नई शिक्षा नीति (NEP) के लागू होने के तीन वर्षों की गहन समीक्षा और मंथन करना है।

कार्यशाला में NEP के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए नियमों में संशोधन और बदलाव की सिफारिशें तैयार की जाएंगी। साथ ही, विभिन्न पाठ्यक्रमों में आवश्यक संशोधनों के प्रस्तावों पर भी विस्तृत चर्चा होगी। यह कार्यशाला NEP को और अधिक व्यावहारिक और प्रभावी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगी। इसका लक्ष्य उन बाधाओं की पहचान करना है जो नीति के पूर्ण क्रियान्वयन में आ रही हैं, और उनके समाधान के लिए ठोस सुझाव देना है।

कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज की पहल

इस राष्ट्रीय कार्यशाला को लेकर कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज की अध्यक्षता में एक केंद्रीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें उपरोक्त प्रस्तावों पर विस्तृत चर्चा हुई। कुलगुरु प्रो. भारद्वाज ने विश्वास व्यक्त किया कि यह कार्यशाला महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक साबित होगी। बैठक में शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास मध्य क्षेत्र के क्षेत्रीय सह संयोजक श्री ओम जी शर्मा और भारतीय स्त्री शक्ति की प्रांत अध्यक्ष श्रीमती किरण शर्मा की विशेष उपस्थिति रही।

प्रो. भारद्वाज ने बैठक में बताया कि विक्रम विश्वविद्यालय पहले से ही भारतीय विक्रम पंचांग और तिथियों पर आधारित कार्यक्रम आयोजित करने वाला पहला विश्वविद्यालय है। उन्होंने यह भी प्रस्ताव रखा कि आगामी सत्र के परीक्षा परिणामों की अंकसूची में विक्रम पंचांग की तिथि और वार भी अंकित किए जाएं। यह प्रस्ताव विक्रम विश्वविद्यालय की कार्य परिषद के समक्ष लाया जाएगा, जिससे यह परंपरा आधिकारिक दस्तावेजों का भी हिस्सा बन सके। यह पहल छात्रों को हमारी प्राचीन काल गणना प्रणाली से परिचित कराने और उसके महत्व को समझने में मदद करेगी। यह सिर्फ कैलेंडर का बदलाव नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और शैक्षिक चेतना का प्रसार है।

नई शिक्षा नीति के व्यावहारिक क्रियान्वयन पर जोर

प्रो. भारद्वाज ने बैठक में विस्तार से बताया कि नई शिक्षा नीति को लागू हुए तीन साल पूरे होने जा रहे हैं, और इस कार्यशाला में इन्हीं वर्षों की समीक्षा कर गहन चिंतन किया जाएगा। इसका मुख्य लक्ष्य नीति को व्यावहारिक रूप से बेहतर ढंग से क्रियान्वित करने की सिफारिशें तैयार करना और इसके क्रियान्वयन में बाधक बनने वाले पक्षों को ठीक करना है। यह सुनिश्चित करेगा कि नीति केवल कागजों पर न रहे, बल्कि जमीनी स्तर पर भी इसका वास्तविक लाभ मिल सके।

“भारत” नामकरण अभियान और कौशल विकास पर चिंतन

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के मध्य क्षेत्र के क्षेत्रीय सह संयोजक ओम शर्मा ने देश के सर्वज्ञ नामकरण “भारत” किए जाने के अभियान के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के देशभर में क्रियान्वयन को लेकर भी अभियान जारी है, और जिन राज्यों में इसका क्रियान्वयन हो रहा है, वहाँ इसके व्यावहारिक पहलुओं पर चिंतन किया जा रहा है।

श्री शर्मा ने झाबुआ के केशव विद्यापीठ का उदाहरण देते हुए बताया कि यह एक ऐसा शिक्षा संस्थान बन चुका है, जिसमें हर विषय में योग्यता और दक्षता के साथ विद्यार्थियों का निर्माण किया जा रहा है। इसी तर्ज पर, इस कार्यशाला में छात्रों को दक्षता कौशल के साथ विकसित करने पर भी मंथन किया जाएगा। इसका उद्देश्य छात्रों को केवल सैद्धांतिक ज्ञान देना नहीं, बल्कि उन्हें वास्तविक जीवन के लिए आवश्यक कौशल से लैस करना है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। यह आज की तेजी से बदलती दुनिया में छात्रों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

महिलाओं की सहभागिता और सनातन संस्कृति पर चर्चा

बैठक में भारतीय स्त्री शक्ति की प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती किरण शर्मा ने अपने संगठन के बारे में विस्तृत जानकारी दी और स्त्रियों के महत्व को प्रतिपादित किया। उन्होंने आयोजन को लेकर महिलाओं की सहभागिता का भी विशेष उल्लेख किया, जो दर्शाता है कि शिक्षा और संस्कृति के उत्थान में महिलाओं की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है।

ओम शर्मा ने कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत करने के साथ-साथ सदस्यों से संवाद भी किया। इस दौरान डॉ. रमण सोलंकी ने नई शिक्षा नीति के साथ विक्रम संवत पंचांग पर मध्य प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा पूरे देश में चलाए जा रहे अभियान की जानकारी दी। वहीं, डॉ. अलका व्यास ने देश में पाश्चात्य संस्कृति से उबरकर सनातन संस्कृति के आधार पर भारत में रविवार का अवकाश निरस्त किए जाने का पक्ष रखा। यह एक ऐसा प्रस्ताव है जो पारंपरिक भारतीय मूल्यों को पुनर्जीवित करने और भारतीय कार्य संस्कृति को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ी बहस छेड़ सकता है।

ये थे मौजूद

बैठक के प्रारंभ में प्रो. सत्येंद्र किशोर मिश्रा ने बैठक प्रस्ताव का वाचन किया। इस महत्वपूर्ण बैठक में कुलगुरु प्रो. अर्पण भारद्वाज, ओम शर्मा, किरण शर्मा सहित प्रो. गीता नायक, प्रो. डी.डी. बेदिया, डॉ. जीवन सिंह सोलंकी, प्रो. उमेश कुमार सिंह, प्रो. बी.के. अंजना, प्रो. वीरेंद्र चावरे, डॉ. क्षमाशील मिश्रा, डॉ. सुशील शर्मा, डॉ. रमण सोलंकी, डॉ. अजय शर्मा, डॉ. गणपत अहिरवार, डॉ. सलिल सिंह, प्रो. अलका व्यास, डॉ. निश्चल यादव, डॉ. नलिन सिंह पंवार, प्रो. अंजना पांडे आदि प्राध्यापकगण और आमंत्रित सदस्य उपस्थित रहे।

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