70 वर्षीय बुजुर्ग व्यकि की अर्थी के साथ पंचायत के विकास कार्यो की भी अर्थी उठी

Jaora nale per arthi

मौत के बाद भी यहां परेशानी पीछा नहीं छोड़ा

जावरा, अग्निपथ। ग्रामीण क्षेत्रों मे जीवन यापन करने वाले लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है और रतलाम जिले कि पिपलौदा तहसील का एक गांव तो ऐसा भी है जहां मौत के बाद भी गांव के लोगों की परेशानी खत्म नहीं होती है।

दरअसल पिपलौदा तहसील के गांव रिछादेवडा़ में 70 वर्षीय पुंचनद टेलर की लंबी बीमारी के चलते गुरुवार को मृत्यु हो गई। जब उन्हें दाह संस्कार के लिए ले जाने की तैयारी हो रही थी किन्तु उससे पहले जब ग्रामीणों को यह पता चला कि मुक्तिधाम जाने वाले मार्ग पर पानी के तेज़ बहाव से सडक़ पर बनी पुलिया कट चुकी है और उस रास्ते से अर्थी निकालना मुश्किल है। जिसके बाद ग्राम पंचायत के जिम्मेदारों को ग्रामीणों ने अवगत कराया कि श्मशान घाट जाने का रास्ता सही नहीं है।

ग्राम पंचायत द्वारा जब यह बोला गया कि आप कहीं और अंतिम संस्कार कर दीजिए तो ग्रामीण का कहना था कि जहां सालों से अंतिम संस्कार कर रहे है वह स्थान उर्फ मुक्तिधाम को छोडक़र किसी और जगह क्यों अंतिम संस्कार किया जाए। नाराज ग्रामीणों द्वारा एसडीएम से लेकर कलेक्टर तक अपनी पीड़ा बताने की कोशिश की गई।

लेकिन ग्रामीणों की इस पीड़ा को सुन के अनसुना कर दिया गया और किसी ने फ़ोन तक नहीं उठाया तो फिर निराश ग्रामीण मृतक की अर्थी उसी रास्ते से लेकर शमशान पहुंचे जहां पर पूनमचंद (70) का अंतिम संस्कार हुआ।

कंधे पर अर्थी सिर पर लकड़ी

Jaora Nale se lakdi
नाले की पुलिया टूटी होने से अंतिम संस्कार के लिए ऐसे ले जाना पड़ी लकड़ी।

मृतक पूनमचंद की अर्थी कंधों पर थी तो दाह संस्कार में शामिल लोगों के सिर पर उसे जलाने की लकड़ी थी क्यो की रास्ता इतना खऱाब था कि लकड़ी लेकर वाहन मुक्तिधाम तक नही जा सकता था। इसलिए सिर पर कुछ ग्रामीण ने लकड़ी ले रखी थी तो कंधे पर अर्थी थी।

अर्थी के गिरने तक का लग रहा था डर

मुक्तिधाम पर अंतिम संस्कार करने के लिए जाने वाले लोगों को काफी संभलकर रास्ते से निकलना पड़ा क्योंकि मुक्तिधाम पहुंचने वाला रास्ता सही नही होने के कारण ग्रामीणों को खाई और खेतों से होकर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ गया। यहां तक कि अर्थी ले जाने वाले लोगों के फिसलने के कारण अर्थी के गिरने की स्थित भी बन गई थी।

ग्रामीण लक्ष्मण सिंह देवड़ा ने बताया कि सालो से मांग कर रहे है कि शमशान घाट का रास्ता सुधरा जाए किन्तु इस ओर कोई भी जिम्मेदार ध्यान देने को तैयार नहीं है। हमने ग्राम पंचायत को कई बार अवगत करवाया गया। लेकिऩ लाहपवाह ग्राम पंचायत ने आज भी इस ओर कोई ध्यान नही दिया है जिसके कारण अर्थी को ले जाने में काफ़ी समस्या का सामना करना पड़ा है इस रास्ते का जल्द सुधार करना चाहिए।

ग्राम पंचायत सचिव द्वारा बताया गया कि श्मशाम घाट जाने वाले रास्ते पर एक छोटी सी पुल बना रखी है वहां ज्यादा पानी आने की वजह से टूट चुकी है कुछ दिनों के बाद इसे ठीक करवा दिया जाएगा। गांव मे दो और शमशान घाट है जहां पर अंतिम संस्कार हो सकता है।

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