रहवासी हाईकोर्ट का आदेश लाए, प्रशासन ने दिया सुप्रीम कोर्ट का हवाला
उज्जैन, अग्निपथ। महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र विस्तार के लिए बेगमबाग (शकैब बाग) क्षेत्र में चल रहे मकानों को हटाने के काम में सोमवार को कुछ लोगों ने रोकने का प्रयास किया। इनका तर्क था कि हाईकोर्ट ने मकानों को हटाने के काम पर स्थगन आदेश जारी किया हुआ है। हालांकि प्रशासन ने इस स्थगन आदेश को मानने से इंकार कर दिया है।
प्रशासनिक अधिकारियों का तर्क है मंदिर क्षेत्र से निश्चित दूरी तक के अतिक्रमण तय समय सीमा में हटाने के निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिए हुए है लिहाजा हाईकोर्ट का कोई आदेश यहां लागू नहीं होता है।
शकैब बाग के 147 मकानों में रहने वाले 250 परिवारों को विस्थापित करने की कार्रवाई लगातार चौथे दिन भी जारी रही। सोमवार को शकैब बाग रहवासी संघ से जुड़े कुछ लोग हाईकोर्ट चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक और जस्टिस विजय कुमार शुक्ल द्वारा जारी एक आदेश की प्रति लेकर पहुंचे।
इस आदेश में मध्यप्रदेश में कोविड के कारण 15 जुलाई तक किसी तरह के अतिक्रमण नहीं हटाने का उल्लेख है। रहवासी संघ का तर्क है कि जब मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 15 जुलाई तक अतिक्रमण नहीं हटाने का आदेश जारी किया हुआ है तो शकैब बाग में लोगों के मकान क्यों तोड़े जा रहे हैं।
कैंप में आए 15 आवेदन
शकैब बाग में रहने वाले लोगों के दस्तावेज और बैंक खातों की डिटेल के लिए नगर निगम की ओर से महाराजवाड़ा स्कूल प्रांगण में कैंप लगाया गया था। सोमवार को इस कैंप में 15 परिवारों के सदस्य पहुंचे और अपने मकान, पट्टे व बैंक खातों की डिटेल उपलब्ध करवाई। सोमवार शाम तक की स्थिति में महाकालेश्वर मंदिर समिति द्वारा यहां रहने वाले 57 परिवारों के खातों में 3-3 लाख रुपए का भुगतान कर चुकी थी।
इनका कहना
हाईकोर्ट के आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि 15 जुलाई तक मध्यप्रदेश में कहीं भी अतिक्रमण हटाने या विस्थापन की कोई कार्रवाई नहीं होगी। इसके बावजूद प्रशासनिक अधिकारी हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है। अगले एक या दो दिन में हम इस मामले में कोर्ट के आदेश की अवमानना का वाद दायर करेंगे। – मोहम्मद शाकिर, प्रमुख शकैब बाग रहवासी संघ
महाकालेश्वर मंदिर क्षेत्र विस्तार का मामला अलग है। सुप्रीम कोर्ट के तय अवधि में हमें अवैध निर्माण हटाने के निर्देश दिए हुए है। इसके लिए क्षेत्र और समय सीमा भी तय है। दूसरी प्रमुख बात है कि शकेब बाग से लोग अनुग्रह राशि लेकर स्वेच्छा से जा रहे है। यहां अतिक्रमण हटाने जैसी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। – नरेंद्र सूर्यवंशी, एडीएम