उज्जैन, अग्निपथ। शहर के मुख्य पेयजल स्त्रोत गंभीर बांध में हालात चिंताजनक होते जा रहे है। गुरुवार शाम तक की स्थिति में गंभीर बांध में केवल 194 एमसीएफटी पानी ही शेष बचा था। इतने पानी से शहर में एक दिन छोडक़र 15 जुलाई तक ही सप्लाय हो सकता है। पीएचई अधिकारियों को अब शिप्रा में होने वाली पानी की आवक से ही आस है। बारिश में यदि देरी हुई तो शिप्रा और नर्मदा से ही शहर की प्यास बुझ सकेगी।
2250 एमसीएफटी क्षमता वाले गंभीर बांध में पिछले एक महीने से ट्रेंच खोदकर गड्ढों में जमा पानी को संपवैल तक जाने का काम हो रहा है। पीएचई के 8 से 10 ठेका श्रमिक इस काम में जुटे है। गंभीर बांध क्षेत्र के एरवास गांव तक ट्रेंच खोदी गई है। गंभीर बांध में तकरीबन 100 एमसीएफटी पानी डेड स्टोरेज (उपयोग लायक नहीं) माना जाता है। इस लिहाज से देखें तो बांध में अब उपयोग लायक केवल 94 एमसीएफटी पानी ही शेष रह गया है।
छुट्टी पर जाने से पहले नगर निगम आयुक्त क्षितिज सिंघल ने पेयजल प्रदाय की समीक्षा की थी। इस समीक्षा बैठक में शहर में एक दिन के बजाए दो दिन छोडक़र जल प्रदाय करने पर भी चर्चा की गई, हालांकि यह फैसला फिलहाल लागू नहीं किया गया है। 10 जुलाई तक की स्थिति को देखने के बाद ही शहर में पानी सप्लाय के दिन घटाने या बढ़ाने पर फैसला होगा, तब तक शिप्रा नदी का पानी सहारा बनेगा।
शिप्रा में चालू हुई आवक
दो दिन पहले शिप्रा के कैचमेंट एरिया में हुई बारिश के बाद शिप्रा नदी में पानी की आवक शुरू हो गई है। चिमली और किठोदा बैराज से पानी लीकेज होकर उज्जैन तक आने लगा है। पीएचई के कार्यपालन यंत्री आर.के. खंडेलवाल की माने तो गऊघाट प्लांट को फिलहाल शिप्रा में आए पानी से ही चलाया जाएगा।
24 घंटे में नर्मदा का पानी आ जाएगा उज्जैन
15 जुलाई तक गंभीर बांध क्षेत्र में बारिश नहीं होने की स्थिति में नर्मदा लाइन से पानी लेने का भी विकल्प हमारे पास मौजूद है। बड़वाह से उज्जयिनी और उज्जयिनी से त्रिवेणी तक डली करीब 100 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन के जरिए नर्मदा का जल 24 घंटे की अवधि में उज्जैन लाया जा सकता है। इस लाइन के जरिए 24 घंटे में लगभग आधा एमसीएफटी पानी लाया जा सकता है। शहर के लिए यह पर्याप्त नहीं होगा लेकिन नर्मदा और शिप्रा दोनों के पानी की आवक से दो दिन छोडक़र हर तीसरे या चौथे दिन शहर में पानी की आपूर्ति की जा सकती है।