केस दर्ज, संत समाज ने आरोपी पर रासुका लगाने की मांग की
उज्जैन,अग्निपथ। अखाड़ा परिषद के कार्यालय पर कब्जे को लेकर दो लोगों ने महंत व चौकीदार के साथ मारपीट कर दी। घटना में घायल महंत को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मामले में नीलगंगा पुलिस ने केस दर्ज किया है।
वहीं संत समाज ने मुख्य आरोपी पर रासुका लगाने की मांग की है। खास बात यह है कि मामले में अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने स्थानीय मंत्री की भूमिका बताते हुए प्रधानमंत्री तक को शिकायत की चेतावनी दी है।
नीलगंगा स्थित सिंहस्थ पड़ाव स्थल पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का कार्यालय है। सोमवार दोपहर विवेकानंद कॉलोनी निवासी संतोष राव उर्फ बड़ा संतोष पिता शंकर राव कदम और ओम प्रकाश पिता बख्श चौहान पहुंचे और कार्यालय के गेट पर ताला लगाकर कब्जे का प्रयास किया। मौके पर मौजूद अखाड़े के महंत देवगिरी महाराज व चौकीदार दिलीप माली ने विरोध किया तो दोनों ने उन्हें पीटकर घायल कर दिया।
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और संतोष को थाने ले गई। बाद में घायल महंत को जिला अस्पताल पहुंचा कर आरोपियों पर केस दर्ज किया है। घटना से संत समाज में आक्रोष व्याप्त हो गया। श्री पंच दशनाम जूना दत्त अखाड़ा गादीपति पीर सुंदर पुरी जी, महन्त कृष्ण गिरी ने आरोपी संतोष पर रासुका लगाने की मांग की। महंत विद्या भारती, महंत प्रेम गिरी, महंत विद्यापुरी जी, महंत आनंदपुरी, महंत दिग्विजय दास, महंत भगवान दास सहित अन्य संतों ने चेतावनी दी कि बदमाश पर रासुका नहीं लगाई सभी कोठी पर धुनी तापेंगे।
सीएम से शिकायत, मंत्री को चेतावनी
घटना को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष नरेंद्र गिरी महाराज ने वीडियो जारी किया कि सिंहस्थ में उक्त स्थान से अखाड़ों की पेशवाई निकालने पर मुख्यमंत्री की सहमति से अखाड़ा परिषद ने कार्यालय बनाया। उन्होंने नाम नहीं लेते हुए घटना में स्थानीय मंत्री की भूमिका बताई। दावा किया कि सीएम शिवराजसिंह चौहान से चर्चा की है और मंत्री बाज नहीं आए तो प्रधानमंत्री व अमित शाह को शिकायत करेंगे। उन्होंने आरोपी संतोष को माफिया बताते हुए रासुका की मांग की है।
मामला एक नजर में
अखाड़ा परिषद के कार्यालय जिस जमीन पर बना है श्याम गृह निर्माण संस्था उसे अपनी बताती है। जमीन को लेकर उसका काफी समय से अखाड़ा परिषद से कोर्ट में केस चल रहा है। बावजूद हल नहीं निकलने पर संस्था ने बड़ा संतोष को सेक्यूरिटी ऑफिसर बताते हुए कब्जे के लिए भेजा था।